बीएसएफ जवानों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
एनजीओ का कहना था कि सुरक्षा एजेंसी की अदालत में किसी भी जवान या अधिकारी को सजा मिल पाना बहुत कठिन होता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र । पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में बीएसएफ जवानों द्वारा किए गए उत्पीड़न, दुष्कर्म व हत्याओं के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड व एसके कौल ने शुक्रवार को यह फैसला किया। हालांकि याचिका दायर करने वाले एनजीओ बांगलर मानबाधिकार सुरक्षा मंच ने बीएसएफ एक्ट की संवैधानिक वैधता पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि एक्ट की धारा 46 में बीएसएफ के जवान व अधिकारी पर कोई शिकायत है तो उसका ट्रायल सुरक्षा एजेंसी की अदालत में ही हो सकता है। धारा 47 के तहत शिकायत हो तो ट्रायल सामान्य अदालत में चलाया जाता है। एनजीओ का कहना था कि सुरक्षा एजेंसी की अदालत में किसी भी जवान या अधिकारी को सजा मिल पाना बहुत कठिन होता है।
चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि दोनों धाराओं की व्याख्या अलग है। अगर कोई मुठभेड़ ठीक है तो धारा 46 के तहत ही कार्रवाई होगी, लेकिन अगर उस पर संशय है तो मामला खुद ब खुद सामान्य अदालत के पास आ जाएगा, क्योंकि उस सूरत में जवान को ड्यूटी पर नहीं माना जा सकता है।
एनजीओ के बिजन घोष ने कहा कि 2005 व 2011 के दौरान दो सौ मामले ऐसे हैं जिनमें बीएसएफ के जवानों ने प्रताड़ना के बाद भारतीय नागरिकों की हत्या की। इनमें सौ मामलों के चश्मदीद गवाह भी हैं। उनका कहना है कि प. बंगाल पुलिस ने इन मामलों की जांच के नाम पर मजाक किया और पीडि़त पक्ष को ही अपने निशाने पर ले लिया।