हाईजैकिंग मामले के आरोपी की अपील पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
मामले के अनुसार इंडियन एयरलाइंस की काठमांडू से दिल्ली आने वाली फ्लाईट आइसी-814 को 24 दिसंबर 1999 को हाईजैक किया गया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र । कांधार हाईजैकिंग मामले के आरोपियों की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीमकोर्ट सहमत हो गया है। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत के समक्ष दो अपील दायर की गईं। एक मामले में सह साजिशकर्ता अब्दुल लतीफ मोमिन ने खुद को मिली सजा का विरोध किया है तो दूसरी अपील सीबीआइ के जरिए पंजाब सरकार ने दायर की, जिसमें युसुफ नेपाली को बरी करने पर सवाल उठाया गया है। जस्टिस पीसी घोष व आरएफ नरीमन की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि वह मामले की नियमित सुनवाई करेगी।
मोमिन ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके खिलाफ ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया जो उसे हाईजैकिंग का दोषी ठहरा सके। उसका कहना है कि वह पिछले 17 साल से जेल में है। 30 दिसंबर 1999 के बाद उसे कभी पेरोल पर भी नहीं रिहा किया गया। यही नहीं उसने जो बयान दिया उसे भी अदालत ने स्वीकार नहीं किया। उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई।
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मामले के अनुसार इंडियन एयरलाइंस की काठमांडू से दिल्ली आने वाली फ्लाईट आइसी-814 को 24 दिसंबर 1999 को हाईजैक किया गया था। उस दौरान इसमें 179 यात्री व 11 क्रू मेंबर थे। पांच अपहरणकर्ता फ्लाईट को अफगानिस्तान के कांधार इलाके में ले गए। ये सारे अभी तक फरार हैं। अपहर्ताओं ने रुपेन कत्याल की हत्या के बाद भारत सरकार से बातचीत शुरू की और यहां की जेल में बंद आतंकी मसूद अजहर अल्वी, सैयद उमर शेख व मुश्ताक अहमद जर्गर की 31 दिसंबर को बंधकों से अदलाबदली की। मुंबई में रहने वाले मोमिन व नेपाल निवासी युसुफ नेपाली के साथ एक अन्य आरोपी भारत के दिलीप कुमार भुजैल को पटियाला स्थित विशेष हाईजैकिंग अदालत ने 5 फरवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ नेपाली व भुजैल ने याचिका दायर की तो बेंच ने 25 आर्म्स एक्ट को छोड़कर बाकी सभी धाराओं में सुनाई गई दोनों की सजा को निरस्त कर दिया। मोमिन को दी गई सजा को हाईकोर्ट ने बहाल रखा था। हालांकि सीबीआइ ने यह कहकर उसके लिए फांसी की मांग की थी कि जांच में उसके संपर्क पाकिस्तानी आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिद्दीन से पाए गए।
बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि मामला बेहद संगीन है और देश की सुरक्षा से जुड़ा है लेकिन यह भी एक तथ्य है कि पिछले 17 साल से जेल में बंद मोमिन के खिलाफ कोई और मामला सामना नहीं आया है, जिससे उसकी उम्रकैद को फांसी में तब्दील किया जा सके। सुप्रीमकोर्ट ने 2014 में मोमिन व पंजाब सरकार की याचिका पर संबंधित पक्षों को नोटिस भी जारी किया था।
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