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गुजरात में कांग्रेस नेता शंकर सिंह वाघेला का साथ छोड़ने लगे समर्थक

आलाकमान ने वाघेला समर्थक नेता गुरुदास कामत को हटाकर पहले ही गुजरात का प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत को बना दिया है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 19 Jun 2017 07:18 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jun 2017 07:18 PM (IST)
गुजरात में कांग्रेस नेता शंकर सिंह वाघेला का साथ छोड़ने लगे समर्थक
गुजरात में कांग्रेस नेता शंकर सिंह वाघेला का साथ छोड़ने लगे समर्थक

शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। गुजरात की राजनीति में आजकल खुले पत्रों की खूब चर्चा है। नेता विपक्ष शंकरसिंह वाघेला ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी को हटाने की मांग की वहीं वाघेला के एक पूर्व समर्थक ने उम्र के इस पड़ाव में आश्रय देने वाली पार्टी के साथ ही गद्दारी करने पर उन्हें खरी खोटी सुनाईं। वाघेला पर उनके समर्थक ने स्वार्थ की राजनीति का आरोप जड़ा है।

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गुजरात कांग्रेस में चल रही वर्चस्व की लड़ाई के तहत वाघेला ने अपना आखिरी दांव खेलते हुए सोनिया गांधी का पत्र लिखकर बताया है कि सोलंकी की अगुवाई में पार्टी चुनाव हार सकती है। चुनाव से पहले पार्टी को चेहरा घोषित करना चाहिए, वे इसके लिए उपयुक्त हैं। वाघेला ने सक्रिय राजनीति से अलग होने के भी संकेत दिए हैं, लेकिन इस तरह की पेशकश महज राजनीतिक चालबाजी से अधिक कुछ नहीं। वाघेला आगामी चुनाव में प्रचार से लेकर टिकट वितरण में खास भूमिका चाहते हैं, लेकिन आलाकमान का विश्र्वास खो देने के बाद अब यह संभव नहीं लगता।

आलाकमान ने वाघेला समर्थक नेता गुरुदास कामत को हटाकर पहले ही गुजरात का प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत को बना दिया है। गहलोत 19 से 25 जनवरी तक गुजरात के दौरे पर हैं और घूम-घूमकर पार्टी के बडे़ नेताओं के दावों की टोह ले रहे हैं। गहलोत ने इस मामले में नो कमेंट के साथ नेताओं के बजाए कार्यकर्ताओं को अब तरजीह देनी शुरू कर दी है।

दूसरा पत्र वाघेला को गांधीनगर के पेथापुर गांव निवासी जितेंद्र सिंह वाघेला ने लिखा जिसमें उनसे सीधे सवाल किया गया है कि कांग्रेस ने उन्हें सब कुछ दिया। तीन साल नेता विपक्ष बनकर सत्ता व सुख भोगने के बाद अब पार्टी से बगावत करने का क्या कारण है। ये भी पूछा है कि क्या आयकर व ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं।

पत्र में ये भी कहा है कि आप प्रदेश अध्यक्ष सोलंकी का विरोध कर रहे हैं लेकिन आप खुद गोधरा व साबरकांठा से चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में पार्टी आपको चेहरा बनाकर क्यूं मैदान में उतारे। टिकट वितरण में आप महत्व चाहते हैं पर अपनी पार्टी राजपा के सभी 182 टिकट आपने बांटे थे लेकिन 3 ही सीट जीत पाए।

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