स्मृति का वार, 'शरद यादव संविधान बनाते तो महिलाओं का क्या होता'
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कल्पना कीजिए अगर ऐसे नेता संविधान की मसौदा समिति में शामिल होते तो महिलाओं की स्थिति क्या होती।
नई दिल्ली । मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कल्पना कीजिए अगर ऐसे नेता संविधान की मसौदा समिति में शामिल होते तो महिलाओं की स्थिति क्या होती। ईरानी ने शरद यादव की एक टिप्पणी की याद दिलाते हुए कहा कि आज शरदजी जैसे बहुत वरिष्ठ सांसद ने एक बार फिर मुझे कहा कि बैठ जाओ, बैठ जाओ। विचार कीजिए कि इस तरह के नेता मसौदा समिति में अगर होते।
राज्यसभा में संविधान के प्रति प्रतिबद्धता विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए मंत्री ने कहा कि भारत की नारी होने के नाते वह इस बात की प्रशंसा करती हैं कि दुनिया के कई देशों में महिलाओं को जहां मतदान के अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा वहीं भारत में उन्हें यह अधिकार संविधान ने दिया। स्मृति ने कहा कि लेकिन कल्पना कीजिए, जैसा कि आज सदन के नेता ने कहा कि जब इसका मसौदा बनाया जा रहा था तब इतने वरिष्ठ सांसद मेरी जैसी किसी महिला पर किस तरह की पाबंदी लगाते।
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क्या मुझसे कहा जाता कि आपका रंग सांवला है, इसलिए आपको मतदान का अधिकार नहीं है? क्या मुझे कहा जाता कि आपके बाल छोटे हैं तो आपको मतदान का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे दिखाई दे रहा है कि मेरी बात से कुछ लोग परेशान हैं, लेकिन आज इस सदन में गिनाई गईं सामाजिक हकीकतों से अलग हमें इस सच्चाई को भी मानना होगा कि इस तरह की वास्तविकता के शिकार लोग केवल इस सदन के बाहर नहीं हैं, बल्कि हमने इसी सदन में भी यह देखा है।
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केंद्रीय मंत्री ने संस्कृत भाषा के विकास की बात करते हुए याद दिलाया कि सितंबर, 1949 में डा. अंबेडकर ने संस्कृत को भारतीय संघ की आधिकारिक भाषा बनाने की वकालत की थी ।