'राइट टू एजुकेशन' नहीं 'राइट एजुकेशन' का समय
विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में विचार विमर्श के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा प्रस्तुत विषय 'रोल ऑफ पार्लियामेंट इन डेवलपमेंट' पर चर्चा हुई। इस दौरान 'राइट टू एजुकेशन' की जगह 'राइट एजुकेशन' की जरूरत पर बल दिया गया।
लखनऊ। विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में विचार विमर्श के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा प्रस्तुत विषय 'रोल ऑफ पार्लियामेंट इन डेवलपमेंट' पर चर्चा हुई। इस दौरान 'राइट टू एजुकेशन' की जगह 'राइट एजुकेशन' की जरूरत पर बल दिया गया।
सूत्रों के अनुसार भोजन अवकाश से पहले के सत्र में प्रस्तुत इस विषय पर पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष डा. चरनजीत सिंह अटवाल, गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष गनपत सिंह वासवा व छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष गौरी शंकर अग्रवाल ने अपने विचार रखे। भोजन अवकाश के बाद के सत्र में पश्चिम बंगाल विधान सभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने चर्चा में भाग लिया।
'रोल ऑफ पार्लियामेंट इन डेमोक्रेसी' के बारे में पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष अटवाल ने कहा कि विकास की बात होने पर सबसे पहले दिमाग में यह बात बात आती है कि इस संबंध में लोगों में चेतना किस प्रकार लायी जाए। उन्होंने कहा कि अब हमें 'राइट टू एजुकेशन' के बजाय 'राइट एजुकेशन' की बात करनी चाहिए और यही समय की आवश्यकता है। महिलाओं का सशक्तीकरण भी विकास का एक प्रमुख बिंदु है।
अटवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि की प्रशंसा करते हुए गांव को गोद लेने की योजना की सराहना की। लोकसभा अध्यक्ष ने स्वच्छ भारत, जन धन योजना व बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं को विकासपरक करार दिया। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को विकास की बात को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी।
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