त्रिपुरा में माकपा की मुश्किलें बढ़ाएगा तृणमूल विधायकों का रुख
दूसरे स्थान पर 10 सीटों के साथ कांग्रेस थी। पिछले साल सात जून को कांग्रेस के छह विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। जबकि कांग्रेस का एक विधायक माकपा में चला गया था।र के पक्ष में मतदान किया।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के छह विधायकों ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के पक्ष में मतदान किया। साथ ही उन्होंने फरवरी 2018 में होनेवाले विधानसभा चुनाव में माकपा के लिए मुश्किलें बढ़ाने के संकेत भी दे दिए हैं।
त्रिपुरा तृणमूल कांग्रेस के छह विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व पर माकपा का साथ देने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया। वे त्रिपुरा में 23 साल से सत्तारूढ़ माकपा का साथ नहीं देना चाहते। तकनीकी रूप से टीएमसी के ये छह विधायक भले ही खुलकर भाजपा के साथ दिख रहे हैं, लेकिन त्रिपुरा में पार्टी का पूरा संगठन तीन माह पहले ही भाजपा में शामिल हो गया है। अब इन विधायकों के भी खुलकर भाजपा के साथ आने के बाद त्रिपुरा में भाजपा का पलड़ा भारी होता दिख रहा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में माकपा राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 49 पर जीत दज कर पहले स्थान पर रही थी। दूसरे स्थान पर 10 सीटों के साथ कांग्रेस थी। पिछले साल सात जून को कांग्रेस के छह विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। जबकि कांग्रेस का एक विधायक माकपा में चला गया था।
त्रिपुरा भाजपा प्रभारी सुनील देवधर ने बताया कि असम और फिर मणिपुर में भाजपा की सरकारें बनने के बाद पूरे पूर्वोत्तर में भाजपा के प्रति लोगों का समर्थन बढ़ता दिख रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को त्रिपुरा में सिर्फ 1.5 फीसद वोट मिले थे। फिर करीब एक साल बाद लोकसभा चुनाव में यह समर्थन छह फीसद हो गया था। उसके बाद हुए उपचुनावों और स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ता दिख रहा है। संभवत: यही कारण है कि अपने सुरक्षित भविष्य के लिए पहले टीएमसी का पूरा संगठन भाजपा में शामिल हुआ और अब टीएमसी विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव में खुलकर भाजपा के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं।