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चीन-पाकिस्तान के इशारे पर कुचले जा रहे मधेशी

नेपाल सुलग रहा है तो उसके पीछे भारत विरोधी ताकतें हैं। वे नहीं चाहती कि सदियों पुराना रिश्ता बना रहे। सामरिक दृष्टि से भी तराई में हो रही उथल-पुथल हिंदुस्तान के लिए ठीक नहीं है। नेपाल की संविधान सभा के सदस्य (सांसद) इस स्थिति को भांपकर घबराए हुए हैं। भारत

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2015 02:53 AM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2015 07:18 AM (IST)
चीन-पाकिस्तान के इशारे पर कुचले जा रहे मधेशी

सिद्धार्थनगर : नेपाल सुलग रहा है तो उसके पीछे भारत विरोधी ताकतें हैं। वे नहीं चाहती कि सदियों पुराना रिश्ता बना रहे। सामरिक दृष्टि से भी तराई में हो रही उथल-पुथल हिंदुस्तान के लिए ठीक नहीं है। नेपाल की संविधान सभा के सदस्य (सांसद) इस स्थिति को भांपकर घबराए हुए हैं। भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को ऐसे हालातों की जानकारी देने के लिए मंगलवार को तीन सांसद सिद्धार्थनगर मुख्यालय पहुंचे। कहा कि संकेत मिल रहें हैं कि चीन और पाकिस्तान के इशारे पर मधेशियों को कुचला जा रहा है।

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सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने कहा कि आंदोलन अब नेपाल की आबादी में 51 फीसद हिस्सा रखने वाले मधेशियों के लिए स्वाभिमान का सवाल बन गया है। मेची से महाकाली नदी तक बसे मधेशियों का रिश्ता भारत के दार्जिलिंग से उत्तराखंड तक है। फिर भी हमारी राष्ट्रीय पहचान पर प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं। वर्तमान शासक वर्ग मधेशी व थारुओं का दमन इसलिए कर रहा है ताकि भारत-नेपाल मैत्री संधि टूट जाए और पहाड़ पर प्रभाव रखने वाले चीन-पाकिस्तान परस्त नेता उनकी गोद में खेलने लगें।

सांसद नरसिंह चौधरी ने कहा कि नेपाल के महाराज जनक का अयोध्या के महाराज दशरथ से नाता रहा है। उस रिश्ते को समाप्त करने की साजिश रची जा रही है। पहले हमारी संपर्क भाषा हिंदी पर आपत्ति की गई, फिर नागरिकता के मसले पर अवरोध पैदा किए गए और अब पहाड़ी इलाके को मधेशी क्षेत्र में मिलाने का प्रयास किया जा रहा है, जो स्वीकार्य नहीं है।

सांसद बृजेश गुप्त ने कहा कि नेपाल की मीडिया शासक वर्ग की पिछलग्गू हो चुकी है और इसीलिए हम भारत की शरण में आए हैं। मधेशी समुदाय अङ्क्षहसक आंदोलन कर रहा है लेकिन प्रदर्शनकारियों के बीच शासक वर्ग के गुर्गे घुसपैठ कर हिंसा कर रहे हैं। कैलाली कांड को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए गुप्त ने कहा कि मधेश आंदोलन में अब तक 52 लोग शहीद हो चुके हैं और शासक वर्ग हमसे संवाद नहीं बना रहा। शासक वर्ग का आरोप है कि हम पृथक प्रदेश बनवाकर भारत में शामिल हो जाएंगे जबकि हम नेपाल के नागरिक हैं और वहीं रहना चाहते हैं।


जगदंबिका पाल को सौंपा पत्र


सांसदों ने डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल को मधेशी आंदोलन का दस्तावेज, पत्र के रूप में सौंपा। यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को संबोधित था। पाल को पत्र सौंपते वक्त ये सांसद भावुक हो उठे। पाल ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह प्रधानमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को नेपाल के घटनाक्रम से अवगत कराएंगे।


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