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आइएसआइ के टेलीफोन एक्सचेंज से केंद्र को 18 हजार करोड़ की चपत

इस नेटवर्क के जरिए अब तक देशभर में करीब 100 समानांतर एक्सचेंज चलने का खुलासा एटीएस सहित अन्य जांच एजेसियां कर चुकी हैं।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 12:43 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 07:09 AM (IST)
आइएसआइ के टेलीफोन एक्सचेंज से केंद्र को 18 हजार करोड़ की चपत
आइएसआइ के टेलीफोन एक्सचेंज से केंद्र को 18 हजार करोड़ की चपत

नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ नेटवर्क के खुलासे में सामने आए समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज चलाने के खेल में केंद्र सरकार को 18 हजार करोड़ रुपये की चपत लगी है। जबकि राज्य में चल रहे करीब 30 समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज से लगने वाली चपत की राशि दो हजार करोड़ रुपये है। यह पर्दाफाश पुलिस मुख्यालय द्वारा केंद्र सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में हुआ है।

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गौरतलब है कि इस नेटवर्क के जरिए अब तक देशभर में करीब 100 समानांतर एक्सचेंज चलने का खुलासा एटीएस सहित अन्य जांच एजेसियां कर चुकी हैं। आइएसआइ नेटवर्क में चौथे और बड़े खिलाड़ी बिहार के मनोज मंडल के पास भी करीब 150 बैंक खातों के होने का पता एटीएस को चला है। मंडल भी ऑनलाइन ठगी का पैसा जब्बार तक पहुंचाता था। उधर, दिल्ली का जब्बार इम्पोर्ट एक्सपोर्ट के नाम पर सलवार सूट और गर्म कपड़े पाकिस्तान भेजता था।

बिहार के बैंककर्मी एटीएस के रडार पर

एटीएस की रडार पर मनोज के बिहार में आधा दर्जन दोस्त भी हैं जो बैंक और एक कार एजेंसी में काम करते हैं। मनोज के ये साथी जमुई व लखीसराय के बताए जा रहे हैं। मनोज टाटा मोटर्स लखीसराय और जमुई शाखा के लिए काम करने के साथ ही लेबर सप्लाई करने वाली कंपनी के लिए भी काम करता था। वह लेबर कंपनी व कार एजेंसी के दो-तीन कर्मियों के सहयोग से आइएसआइ के एजेंट को पैसा ट्रांसफर करने में मदद करता था।

युवाओं के खाते खुलवाता था

मनोज ने बिहार स्थित झाझा के बु़ढ़ीखार और जमालपुर के सैकड़ों युवाओं के बैंक खाते खुलवा रखे थे जिन्हें वह खुद ऑपरेट करता था। उन्हें हर महीने पांच से दस हजार रुपये मनोज देता था।

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