खादी उद्योग के अच्छे दिन, बिक्री में 14 फीसद की रिकार्ड वृद्धि दर्ज
खादी ग्रामद्योग के उत्पादों की ब्रिकी में 2015-16 के दौरान 14 फीसद की वृद्धि हुई है।
नई दिल्ली। पिछले दो वर्षों में पर्याप्त बारिश के चलते भले ही इंडिया इंक को ग्रामीण भारत में कमजोर ब्रिकी का सामना करना पड़ा हो, लेकिन खादी और ग्रामोद्योग की ब्रिकी में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। यह दोहरे अंकों में पहुंच गई है। खादी और ग्रामोद्योग शहद से लेकर साबुन और फूड से लेकर हैंडीक्राफ्ट तक का उत्पादन करता है।
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अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, 2015-16 में खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादों की ब्रिकी 14 फीसद बढ़कर 36425 करोड़ रुपये पहुंच गई, जबकि भारत की टॉप एफएमसीजी कंपनियों के कारोबार में गिरावट आई है। इस सेक्टर में केवल बाबा रामदेव की पंतजलि आयुर्वेद ही फायदे में रही है, जिसने पिछले साल के कारोबार के मुकाबले इस वर्ष अपने टर्नओवर को दोगुना किया और उसका कारोबार 5000 करोड़ रुपये का रहा।
एफएमसीजी कंपनियां अपने प्लांटों में ही माल का उत्पादन करती हैं, लेकिन खादी और ग्रामोद्योग विभाग के उत्पादों को तकरीबन 7 लाख घरेलू यूनिटों में तैयार किया जाता है और इन यूनिटों को प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग अपने आउटलेट्स के जरिए इन यूनिटों से होने वाले उत्पादों की ब्रिकी करता है और इसके अधिकतर उत्पादों में हीना, पापड़, अगरबत्ती शामिल हैं जिन्हें सीधे निजी दुकानों के माध्यम से बेचा जाता है।
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खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष वी के सक्सेना ने बताया कि पंतजलि अपने उत्पादों की ब्रिकी के लिए बड़े पैमाने पर एड कैंपेन कर रही है, जबकि हमारी ब्रिकी मजबूत वितरण प्रणाली और संस्थागत खरीददारों पर आधारित है, जिसमें एयर इंडिया और भारतीय रेल जैसे ग्राहक शामिल हैं। एयर इंडिया ने फर्स्ट और बिजनेस क्लास यात्रियों की किट के लिए 8 करोड़ रुपये के खादी उत्पादों का आर्डर दिया है।
पहली बार खादी के कपड़ों की ब्रिकी में 29 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है और इसकी ब्रिकी का आंकड़ा 15 हजार करोड़ रुपये को पार कर चुका है। जब से सरकार ने खादी को बढ़ावा देना शुरू किया है तब से इसकी ब्रिकी में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है और रेडीमेड कपड़ों की ब्रिकी में 45 फीसद तक की वृद्धि हुई है जबकि दो वर्ष पहले तक यह केवल 30 फीसद थी। केवीआइसी के अध्यक्ष ने बताया कि अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचने के लिए पेटीएम से करार करने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा रेमंड और फेबइंडिया जैसी कंपनियों से भी बातचीत चल रही है।