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जानें बाइकर्स की जुबानी, सुपर बाइक के सुपर रोमांच की ख़तरनाक कहानी

भारत में जहां एक ड्राइविंग लाइसेंस पाने के बाद कोई भी शख्स स्कूटी से लेकर सुपर बाइक चलाने के योग्य हो जाता है तो वहीं दूसरी तरफ विदेशों में ऐसा नहीं है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 17 Aug 2017 04:01 PM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2017 12:31 PM (IST)
जानें बाइकर्स की जुबानी, सुपर बाइक के सुपर रोमांच की ख़तरनाक कहानी
जानें बाइकर्स की जुबानी, सुपर बाइक के सुपर रोमांच की ख़तरनाक कहानी

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। दिल्ली के मंडी हाउस इलाके में 24 साल के सुपर बाइक चलाने वाले शख्स हिमांशु बंसल की मौत ने सुपर बाइक के सुपर रोमांच की खतरनाक कहानी को एक बार फिर से सुर्खियों में लाकर रख दिया है। हिमांशु की मौत के बाद एक बार फिर से सुपर बाइक पर रोक लगाने की मांग उठने लगी है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इस सुपर बाइक्स की रेसिंग को लेकर इतना रोमांच क्यों है? कैसे होती है सुपर बाइक रेसिंग और वो क्या वजह है, जिसके चलते ये सुपर बाइक रेसर हो जाते हैं मौत का शिकार? इसकी पड़ताल करने के लिए हमने कुछ ऐसे ही दिल्ली के सुपर बाइक रेसर से बात कर, पूरी पड़ताल करने की कोशिश की है।

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क्यों सुर्खियों में है सुपर बाइक रेसिंग
दरअसल, हिमांशु बंसल की मंगलवार (15 अगस्त) को उस वक्त दिल्ली के मंडी हाउस में मौत हो गई जब वे अपनी सुपर बाइक Benelli TNT 600i से दोस्तों से मिलने जा रहा था। पुलिस के मुताबिक, दुर्घटना के समय उस बाइक की स्पीड 150 किलोमीटर प्रति घंटा थी। जिस वक्त ये हादसा हुआ उस समय हिमांशु ने वहां भीड़भाड़ वाली सड़क पर एक पैदल यात्री को बचाने की कोशिश की थी। लेकिन, जैसे ही उसने बाइक का हैंडल मोड़ा हिमांशु अपना संतुलन पूरी तरह से खो बैठा। एक्सीडेंट में हिमांशु के सिर और अंदरूनी अंगों में गहरी चोट आयी थी और उसने आखिरकार दम तोड़ दिया।

(फोटो में दिख रहा हिमांशु बंसल)

हिमांशु के पिता ने की सुपर बाइक पर बैन की मांग
ऐसा कहा जा रहा है कि दिल्ली के रहनेवाले सुरेश बंसल ने अपने बेटे को आठ महीने पहले ही सात लाख रुपये की सुपर बाइक खरीद कर दी थी। लेकिन, अब उन्हें अपने इस फैसले पर पछतावा हो रहा। सुरेश बंसल का कहना है कि इस तरह की बड़ी और तेज रफ्तार बाइक्स भारत की सड़कों के लिए नहीं बनी हैं। लिहाजा, इस पर फौरन रोक लगनी चाहिए, ताकि ऐसा हादसा आगे से न हो। लेकिन, सुपर बाइक पर बैन की मांग करने वाले सिर्फ हिमांशु के पिता ही पहले शख्स नहीं हैं, बल्कि इस तरह की मांगे पहले भी उठती रही है।

सुपर बाइक्स से क्यों हो रहे इतने हादसे?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने उन लोगों को ही बेहतर समझा जो सुपर बाइक की रेसिंग करते हैं। सुपर बाइक से राइडिंग करने वाले अजय सहरावत का कहना है कि भारत में जिस तरह के हादसे हो रहे हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह है असुरक्षा और पर्याप्त ट्रेनिंग का न होना। अजय बताते हैं कि वे लोग फेसबुक, यू-ट्यूब और व्हाट्स ग्रुप  के जरिए एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। उनके ग्रुप में ज्यादातर बिजनेसमैन या फिर नौकरी पेशा लोग होते हैं। संडे को वे सभी अधिकतर राइड के लिए निकलते हैं। इस राइडिंग ग्रुप में लोगों की संख्या पांच से लेकर पचास या इससे ज्यादा भी होती है।

दिल्ली-एनसीआर के पास जहां पर वे लोग ज्यादातर राइंडिंग के लिए जाते हैं वो जगह है इंडिया गेट और गुड़गांव-फरीदाबाद हाइवे जिसे जीएफआर के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा, यमुना एक्सप्रेस वे भी सुपर बाइक राइडर्स के लिए बेहद माकूल है। राइडिंग का समय प्राय: पांच बजे सुबह का होता है, जब सड़कों पर गाड़ियां न के बराबर होती हैं। अजय सहरावत का कहना है, चूंकि सुपर बाइक राइडिंग करते वक्त जो चीजें पहननी पड़ती हैं वह काफी महंगी होती हैं। ऐसे में अगर किसी ने कोई कोताही बरती तो ये उसकी मौत के लिए एक बड़ा कारण बन सकता है।

जबकि, एक अन्य सुपर बाइक राइडिंग करने वाले विकास बेनीवाल का कहना है कि लगातार हादसे की बड़ी वजह है जागरुकता का अभाव। विकास का कहना है कि ये कोई स्कूटी या सामान्य बाइक की राइडिंग नहीं है। लेकिन, लोग इसी तरह की भूल कर बैठते हैं और इसे बेहद सामान्य तरीके से लेते हैं। यही वजह है कि अक्सर सुपर बाइक बेकाबू हो जाती है और राइडर किसी बड़े हादसे का शिकार हो जाते हैं। विकास की मानें तो हर कोई सुपर बाइक के रोमांच का मजा लेना चाहता है। लेकिन, इसके लिए मैच्योरिटी का होना बेहद जरूरी है।

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क्या पैरेन्ट्स हैं असली जिम्मेदार?
सुपर बाइक्स से हो रही दुर्घटनाओं पर Jagran.com से खास बातचीत करते हुए दिल्ली के पूर्व ट्रैफिक कमिश्नर मैक्सवेल परेरा ने बताया कि इसके एक नहीं, कई कारण हैं। लेकिन उन्होंने इसका असली जिम्मेदार माता-पिता को बताया है जो अपने बच्चों को ऐसी बाइक खरीदकर देते हैं। परेरा ने कहा, 'पैरेंट्स को अपनी गलती तब समझ में आती है, जब उनके साथ ये हादसा हो जाता है और वे अपने बच्चे को खो चुके होते हैं।'

बेहद खतरनाक हैं मोटर साइकिल की ड्राइविंग
मैक्सवेल परेरा ने बताया कि मोटर साइकिल को बैलेंस करना अपने आप में काफी खतरनाक है। जवानी के जोश में युवा अपना स्टंट दिखाने लग जाते हैं और यही उनके लिए जान का ख़तरा बनता है। परेरा ने ऐसे नौजवानों के पैरेंट्स से अपील करते हुए कहा कि अपने बच्चों पर ऐसी चीजों के इस्तेमाल से रोक लगाएं।

सड़कों पर नहीं दिखता कानून का खौफ
परेरा ने आगे बताया कि इस तरह की गाड़ियां जिस तरह से बेलगाम होकर चल रही हैं उसके बाद ऐसा लगता नहीं है कि सड़कों पर लोगों में कानून का कोई खौफ है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा कानून का उल्लंघन बाइक चलाने वाले करते हैं। इनमें से कई तो बिना लाइसेंस ही ड्राइविंग करते हैं। ऐसे में पुलिस को भी इस मामले पर सतर्कता बरतने की जरूरत है।

20 से 50 साल तक के होते हैं सुपर बाइक्स राइडर्स
पिछले करीब नौ सालों से राइडिंग कर रहे विकास बेनीवाल का कहना है कि अमूमन सुपर बाइक के राइडर्स की आयु 20 से लेकर 50 साल तक होती है। हालांकि, इसमें 30 साल से नीचे तक की आयु वाले ज्यादा मैच्योर नहीं होते हैं और ज्यादातर इसी आयुवर्ग के लोग हादसे का शिकार होते हैं। विकास का कहना है कि वे सभी कभी कभार लॉन्ग डिस्टेंस पर निकल जाते हैं जैसे- मसूरी, शिमला। हालांकि, वे सभी हर संडे को किसी निर्धारित जगह पर मिलते हैं। साथ में राइडिंग करते हैं और फिर नाश्ता करते हैं। 

काफी महंगी है सुपर बाइक की रेसिंग
सुपर बाइक राइडर्स का कहना है कि इसके लिए सामान्य हेलमेट नहीं होता है, बल्कि उसकी वाजिब कीमत करीब पचास हजार रुपये होती है। इसके अलावा, ड्रेस भी काफी महंगी होती है। सिर्फ शूज पचास हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये के आते हैं। जबकि, ग्लब्स की कीमत तीन हजार रुपये के आसपास होती है। उनका मानना है कि जितने भी हादसे हो रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा मरनेवालों की आयु बेहद कम है। यानि ये लोग ज्यादा मैच्योर नहीं होते हैं और न ही इनके पास ड्राइविंग का पर्याप्त अनुभव होता है। ऐसे में स्पीड में लाने के बाद इनके लिए बाइक को काबू में लाना कभी-कभी नामुमकिन हो जाता है, जो हादसे की वजह बनता है। 

विदेश में सुपर बाइक के लिए क्या है प्रावधान
अगर बाइक के लाइसेंस की बात करें तो ब्रिटेन में सिर्फ मोटर साइकिल लाइसेंस के लिए ही चार कैटगरी बनायी गई हैं। इसमें राइडर की आयु और उसके अनुभव को देखते हुए अलग-अलग श्रेणी बनाई गई हैं। उदाहण के लिए, ए1 लाइसेंस 17 साल के ऊपर के आयु वाले चला सकते हैं, लेकिन बिना एल प्लेट लगाए 125 सीसी की बाइक चलाने पर रोक है। जबकि, ए2 कैटगरी लाइसेंस धारकों को 35KW (47bhp) की बाइक चलाने पर रोक है और उन्हें 20kW (27bhp) की बाइक पर टेस्ट देना अनिवार्य है। इसके लिए 19 वर्ष या उससे ज्यादा आयु का होना जरूरी है। जबकि, ए कैटगरी का लाइसेंस उन्हें दिया जाता है जो 24 साल या उससे ज्यादा के होते हैं।


ड्राइविंग लाइसेंस के नियम कड़े करने की उठी मांग 
भारत में जहां एक ड्राइविंग लाइसेंस पाने के बाद कोई भी शख्स स्कूटी से लेकर सुपर बाइक चलाने के योग्य हो जाता है, वहीं दूसरी तरफ विदेशों में ऐसा नहीं है। ग्रुप ऑफ दिल्ली सुपर बाइकर्स (जीओडीएस) के संस्थापक डॉक्टर अरूण थरेजा का कहना है कि ऐसे मनमौजी राइडर्स को लेकर सरकार को सख्त होने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि बाज़ार में आसानी से सुपर बाइक की उपलब्धता भी एक बड़ी वजह है ऐसे हादसों की। उन्होंने बताया कि सुपर बाइक के लिए किसी को राइडिंग के अनुभव की आवश्यकता नहीं है। भारत में जिसकी उम्र 18 साल है और पैसे है वह जाकर सुपर बाइक खरीद सकता है। परिवहन विभाग को भी लाइसेंस देने में कड़ी प्रक्रिया अपनानी होगी। यूरोप में लाइसेंस लेने के लिए कई टेस्ट से गुजरना पड़ता है। 

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