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भगवान बुद्ध के विचारों से ही दुनिया में शांति संभव: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को कहा कि विश्व का बड़ा भू-भाग इन दिनों युद्ध से रक्त रंजित है और भगवान बुद्ध का करूणा संदेश ही दुनिया को जंग से मुक्ति दिला सकता है।उन्होंने विनाशकारी भूकंप से बड़ी तबाही का सामना करने वाले भगवान बुद्ध

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Mon, 04 May 2015 07:57 AM (IST)Updated: Mon, 04 May 2015 03:13 PM (IST)
भगवान बुद्ध के विचारों से ही दुनिया में शांति संभव: पीएम मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को कहा कि विश्व का बड़ा भू-भाग इन दिनों युद्ध से रक्त रंजित है और भगवान बुद्ध का करूणा संदेश ही दुनिया को जंग से मुक्ति दिला सकता है।उन्होंने विनाशकारी भूकंप से बड़ी तबाही का सामना करने वाले भगवान बुद्ध की जन्मस्थली और भारत के प्यारे पड़ोसी देश नेपाल के संकट से शीघ्र उबरने की भी कामना की।

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यहां तालकटोरा स्टेडियम में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित 'इंटरनेशनल बुद्ध पूर्णिमा दिवस सेलिब्रेशन 2015' के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, 'आनंद भरे पल में हम कुछ बोझिल भी महसूस कर रहे हैं। बोझिल इसलिए कि भगवान बुद्ध की जन्मस्थली, हमारा प्यारा पड़ोसी नेपाल बहुत ही बड़े संकट से गुजर रहा है।' वहां के लोगों के संकट की यह यात्रा कितनी कठिन और लंबी होगी उसकी कल्पना भी मुश्किल है। उन्होंने कहा, 'हम उनके आंसुओं को पोछें, उन्हें एक नई शक्ति प्राप्त हो, इसके लिए आज हम भगवान बुद्ध के चरणों में प्रणाम करते हैं।'

मोदी ने कहा, 'आज विश्व युद्ध से जूझ रहा है, मौत पर उतारू है। विश्व का बड़ा भू-भाग रक्त रंजित है। इस खून-खराबे में करूणा का संदेश कहां से आए मरने-मारने पर उतारू लोगों के बीच करूणा कौन लाए, कहां से लाए रास्ता एक ही है भगवान बुद्ध की करूणा की शिक्षा।' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर युद्ध से मुक्ति पानी है तो भगवान बुद्ध के मार्ग से ही मिल सकती है। कभी कभार लोगों को भ्रम होता है कि सत्ता और वैभव से समस्या का समाधान हो जाएगा लेकिन बुद्ध का जीवन इस सोच को नकारता है।

पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरे विश्व में एशिया की चर्चा है। 21वीं सदी एशिया की सदी है। लेकिन बुद्ध के बिना एशिया की सदी की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि विपरीत समय में बुद्ध ने समाज सुधार की बात की। बुद्ध की बातों में ज्ञानमार्ग था इसलिए पूरी दुनिया ने उन्हें स्वीकारा। प्रधानमंत्री ने कहा कि बुद्ध के मन में दलित, शोषित, वंचित थे। वे जाति प्रथा, ऊंच-नीच को नहीं मानते थे। आज यदि हम उनके विचारों को आत्मसात कर लें तो हमें पूरी दुनिया में शांति होगी।

यह तीसरा मौक़ा है जब बुद्ध पूर्णिमा पर सरकार ने बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया है। सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने 2500वीं बुद्ध जयंती पर बोधगया में बड़े सरकारी कार्यक्रम का आयोजन किया था और उसके बाद कुशीनगर में 2007 में महात्मा बुद्ध के 2550वें परिनिर्वाण दिवस पर सरकार ने कार्यक्रम का आयोजन किया था।

इस समारोह में यहां स्थित बौद्ध स्तूप को बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को समर्पित एक केंद्र के रूप में विकसित किए जाने संबंधी महत्वाकांक्षी प्रस्ताव पर भी चर्चा की जाएगी। इस कार्यक्रम में 31 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

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