गुवाहाटी-तवांग मार्ग बनाए जाने पर सता रहा है चीन का डर
भारत एक बार फिर भूटान से संपर्क साधेगा ताकि सामरिक रूप से अहम तवांग और गुवाहाटी के बीच प्रस्तावित मार्ग को जल्द मंजूरी मिले। चीन से दुश्मनी मोल लेने के डर से पड़ोसी देश भूटान ने भारत को जोड़ने वाली अपने इलाके की सड़क को ठंडे बस्ते में डाल दिया
तवांग । भारत एक बार फिर भूटान से संपर्क साधेगा ताकि सामरिक रूप से अहम तवांग और गुवाहाटी के बीच प्रस्तावित मार्ग को जल्द मंजूरी मिले। चीन से दुश्मनी मोल लेने के डर से पड़ोसी देश भूटान ने भारत को जोड़ने वाली अपने इलाके की सड़क को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
अगर भूटान अपने इलाके के ताशिगांग में 15 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कराता है तो गुवाहाटी से अरुणाचल प्रदेश के लुम्ला स्थित तवांग की दूरी 200 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। इससे यात्रा के छह घंटे भी कम हो जाएंगे। इतना ही नहीं, भारत-भूटान को जोड़ने वाली इस सड़क से पर्वतीय क्षेत्र की दुर्गम यात्रा भी सुगम और सरल होगी। दरअसल पूर्वोत्तर में तवांग से गुवाहाटी का रास्ता बहुत दुर्गम है। दोनों शहरों के बीच 600 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से 16 घंटों में तय होती है। यह रास्ता भाकुलपोंग और तेजपुर होकर जाता है। पर्वतीय क्षेत्र में सेला दर्रा भी शामिल है जिसकी ऊंचाई 14 हजार फीट है और रास्ता बहुत ही दुर्गम है जो कई महीने बंद भी रहता है। इस लिहाज से नई प्रस्तावित लूम्ला-ताशिगांग सड़क सेला दर्रा का विकल्प है। इस सड़क के बनने से भूटान और तवांग के बीच का पुराना व्यापारिक मार्ग भी खुल जाएगा।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि भूटान सरकार ने हाल ही में भारत को स्पष्ट किया है कि लुम्ला-ताशिगांग परियोजना पर काम शुरू करने पर निर्णय के लिए उसे और समय चाहिए। सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा के दौरान भी उठाया गया था।
इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अरुणाचल प्रदेश के राजनेताओं से अपील की कि वह भूटान को सड़क निर्माण के लिए मनाएं। साथ ही उन्हें इससे होने वाले लाभ से भी अवगत कराएं। सूत्रों का कहना है कि बीजिंग के डर से भी भूटान के पीछे हटने का कारण हो सकता है। चूंकि चीन तवांग और अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोंकता रहा है।
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