स्कूली शिक्षा को मिली 180 करोड़ की यूरोपीय सहायता
सर्वशिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में होगा इस्तेमाल...
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूरोपीय संघ ने भारत में स्कूली शिक्षा को मजबूत करने के लिए आर्थिक सहायता की अंतिम किस्त जारी कर दी है। पिछले हफ्ते यूरोपीय संघ स्कूली शिक्षा के लिए दी जा रही आर्थिक मदद की अंतिम किस्त के रूप में 250 लाख यूरो यानी लगभग 180 करोड़ रुपये जारी करने का ऐलान किया। इसका इस्तेमाल सर्वशिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं में किया जाएगा। यूरोपीय संघ पिछले 23 सालों से भारत में स्कूली शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देता रहा है और कुल 520 मीलियन यूरो यानी लगभग 3700 करोड़ रुपये की सहायता दे चुका है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूरोपीय संघ भारत में शिक्षा से जुड़ी योजनाओं के लिए 800 लाख यूरो यानी लगभग 576 करोड़ रुपये की सहायता का वायदा किया था। इनमें 550 लाख यूरो की सहायता पहले ही भारत को मिल चुकी है। बाकी बचा 250 लाख यूरो जारी करने की घोषणा पिछले भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत ने पिछले हफ्ते की। दरअसल 1990 के दशक में भारत स्कूली शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने की तैयारी में जुट गया था। इसके लिए 155 जिलों में जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया गया था। यूरोपीय संघन ने सबसे पहले इस कार्यक्रम को आर्थिक सहायता दिया था। इस तरह यूरोपीय संघ भारत को स्कूली शिक्षा की स्थिति सुधारने में मदद करने वाली पहली एजेंसी बन गई थी। स्कूली शिक्षा में अभी तक वह लगभग 3,700 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दे चुका है।
भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत टॉमज़ कुजलॉस्की के अनुसार कि 1994 से स्कूली शिक्षा को मिलने वाली यूरोपीय संघ की आर्थिक सहायता का सिलसिला आगे भी जारी रहा और इसमें इजाफा ही हुआ। जब वाजपेयी सरकार ने आठवीं तक के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सर्वशिक्षा अभियान शुरू किया तो यूरोपीय संघ ने इसमें भी मदद शुरू कर दी और 2012 में माध्यमिक शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान शुरू किया गया तो यूरोपीय संघ ने इसकी मदद भी शुरू कर दी थी।
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