पुरातन तरीकों से बदलाव नहीं लाया जा सकता :प्रणब मुखर्जी
राष्ट्रपति ने सोमवार को घाना विवि के छात्रों को संबोधित करते हुए यूएन, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) और विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) के मौजूदा ढांचे में बदलाव की
अकरा, प्रेट्र ।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) समेत अन्य वैश्विक संस्थाओं में आमूलचूल बदलाव की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि पुरातन प्रणालियों के दम पर बदलाव लाना संभव नहीं है। इससे दुनिया की मौजूदा समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने सोमवार को घाना विवि के छात्रों को संबोधित करते हुए यूएन, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) और विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) के मौजूदा ढांचे में बदलाव की भारत की मांग दोहराई। उन्होंने कहा, 'यूएन की स्थापना दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1945 में हुई थी। पिछले सात दशकों में दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी है, ऐसे में बदलाव के बिना यह विश्व समुदाय के उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकता है। स्थापना के वक्त कुछ देश ही इसके सदस्य थे। विश्वयुद्ध के बाद स्वतंत्र अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों की इसमें प्रभावशाली भूमिका नहीं है। भारत खासकर सुरक्षा परिषद के मौजूदा स्वरूप में बदलाव चाहता है।' प्रणब मुखर्जी ने भारत और अफ्रीकी देशों को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता नहीं देने को विडंबना करार दिया।
रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति
आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत और घाना ने रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। दोनों ही देशों ने आतंकवाद को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया है। राष्ट्रपति ने भारतीय तकनीकी आर्थिक सहयोग कार्यक्रम में घाना के लिए आवंटित सीटों को ढाई सौ से 300 करने की घोषणा भी की। इसके अलावा अब 20 के बजाय घाना के 40 छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी। प्रणब मुखर्जी का दो दिवसीय घाना का दौरा मंगलवार को समाप्त हो गया और वह अकरा से सीधे आइवरी कोस्ट के लिए रवाना हो गए।
पीएम मोदी भी करेंगे अफ्रीकी देशों की यात्रा
प्रणब मुखर्जी की तीन अफ्रीकी देशों की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महादेश के कुछ देशों का दौरा कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने घाना में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए यह संकेत दिया। उन्होंने बताया कि मोदी जल्द ही चार-पांच अफ्रीकी देशों का दौरा करेंगे।
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