कैबिनेट ने लगायी जीएसटी विधेयकों पर मुहर
आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार करार दिए जा रहे जीएसटी के लागू होने पर देश के जीडीपी वृद्धि दर में दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का अनुमान है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । वस्तु एवं सेवा कर एक जुलाई 2017 से लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार ने जीएसटी के लिए जरूरी चार विधेयकों को हरी झंडी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सीजीएसटी, यूटीजीएसटी, आइजीएसटी और क्षतिपूर्ति विधेयक के मसौदों पर मुहर लगायी गयी। सरकार अब इन विधेयकों को संसद के मौजूदा बजट सत्र में पेशकर पारित कराने की कोशिश करेगी। आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार करार दिए जा रहे जीएसटी के लागू होने पर देश के जीडीपी वृद्धि दर में दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का अनुमान है।
जीएसटी के लागू होने केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा शुल्क और वैट सहित केंद्र और राज्यों के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। जीएसटी की चार दरें- 5, 12,18 और 28 प्रतिशत होंगी। इसके अलावा लग्जरी कारों, शीतल पेय और तंबाकू उत्पादों पर अलग से सैस भी लगाया जाएगा। सैस से जो धनराशि प्राप्त होगी उससे राज्यों को जीएसटी लागू की वजह से होने वाली राजस्व क्षति की भरपाई की जाएगी।
पीएम की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की विशेष बैठक में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सीजीएसटी विधेयक), समन्वित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आईजीएसटी विधेयक), संघ शासित क्षेत्र वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 (यूटीजीएसटी विधेयक) और वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक 2017 (क्षतिपूर्ति विधेयक) के मसौदे को मंजूरी दी गयी। ये सभी विधेयक धन विधेयक के तौर पर इसी सप्ताह लोक सभा में पेश किए जाएंगे। माना जा रहा है कि इन सभी विधेयकों पर एक साथ चर्चा करायी जा सकती है।
जीएसटी काउंसिल ने पिछले छह महीने में 12 बैठकों में व्यापक विचार विमर्श के बाद इन विधेयकों को अंतिम रूप दिया था। सीजीएसटी विधेयक में राज्य के भीतर सेवाओं और वस्तुओं के व्यापार पर केंद्र सरकार को कर लगाने का अधिकार दिया गया है जबकि आइजीएसटी विधेयक में एक राज्य से दूसरे राज्य सेवाओं और वस्तुओं के व्यापार पर केंद्र सरकार को जीएसटी वसूलने की शक्तियां दी गयी हैं। यूटीजीएसटी विधेयक में उन संघ शासित क्षेत्रों में जीएसटी संग्रह करने के संबंध में प्रावधान है जहां विधान सभा नहीं है।
इस विधेयक के प्रावधान राज्य जीएसटी से मिलते जुलते हैं। राज्य जीएसटी विधेयक को राज्यों की विधान सभाओं से मंजूरी दी जाएगी। क्षतिपूर्ति विधेयक में जीएसटी लागू होने के चलते राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की भरपाई के संबंध में प्रावधान किए गए हैं। केंद्र सरकार जीएसटी लागू होने की तारीख से पांच साल तक राज्यों को राजस्व क्षति की भरपाई करेगी।
सरकार का कहना है कि जीएसटी के लागू होने पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी बनेंगे। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और रोजगार के अवसरों मंे वृद्धि होगी। माना जा रहा है कि विकास दर में दो प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी होगी।