पत्थरबाज को जीप से बांधने में देरी करता तो कई लाशें गिरी होतींः मेजर गोगोई
मेजर ने कहा कि मैंने सिर्फ आम लोगों की सुरक्षा को देखते हुए यह कदम उठाया।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। बड़गाम में आम लोगों, सुरक्षाबलों और मतदान कर्मियों को पत्थरबाजों से बचाने के लिए एक कश्मीरी पत्थरबाज को जीप के आगे बांधने वाले मेजर लीथल गोगोई ने मंगलवार को कहा कि मैंने जो किया वह सिर्फ लोगों की जान बचाने के लिए किया। वहां सिर्फ पथराव नहीं हो रहा था, भीड़ में से कुछ लोग पेट्रोल बम भी फेंक रहे थे। अगर जरा भी देर करता तो कम से कम एक दर्जन लोगों की लाशें गिरी होतीं, जिनमें पथराव करते नौजवान, सुरक्षाकर्मी, मतदानकर्मी और आम लोग भी होते।
बड़गाम के पास अपने शिविर में पत्रकारों के साथ बातचीत में मेजर ने कहा कि मैंने सिर्फ आम लोगों की सुरक्षा को देखते हुए यह कदम उठाया। उस समय सोचने की नहीं, कुछ करने की जरूरत थी। उन्होंने घटना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि उठलीगाम और गुंदीपोरा मतदान केंद्रों पर पथराव हो रहा था। उनके पास आइटीबीपी के अधिकारी का फोन आया। उन्होंने मदद का आग्रह करते हुए कहा कि गुंदीपोरा मतदान केंद्र में उनके जवान, मतदानकर्मी फंसे हुए हैं। हिंसक भीड़ ने चारों तरफ से घेर लिया है। इस पर वह जवानों की एक टुकड़ी के साथ निकल पड़े। रास्ते में जगह-जगह पथराव हो रहा था, कई जगह सड़क को बंद किया गया था। अवरोध हटाते हुए आगे बढ़ रहा था।
गुंदीपोरा पहुंचकर वहां के हालात का जायजा लिया। इसी दौरान आइटीबीपी के अधिकारी ने उन्हें उठलीगाम पहुंचकर मतदान केंद्र में फंसे लोगों को निकालने के लिए कहा। उसने बताया कि हिंसक भीड़ मतदान केंद्र को आग लगाने का प्रयास कर रही है। हम उसी समय उठलीगाम की तरफ निकल पड़े। रास्ते में हम पर पथराव हुआ और एक जगह हमारा वाहन भीड़ ने रोक लिया। हमने लोगों से मेगाफोन पर रास्ता छोड़ने की अपील की, लेकिन अपील बेअसर रही। इस दौरान मेजर गोगोई ने भीड़ से कुछ आगे अपने वाहन से करीब 30 मीटर की दूर पर एक युवक को देखा। उन्होंने अपने जवानों को उसे पकड़ने के लिए कहा।
जैसे ही हम उसे पकड़ने के लिए बाहर निकले, वह भीड़ की तरफ भागा, लेकिन हमने उसे पकड़ लिया। गोगोई ने कहा कि यह युवक करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव से वहां पहुंचा था। वह भीड़ को पथराव के लिए उकसा रहा था। इसका नाम फारूक अहमद डार था। उन्होंने कहा कि उसे लेकर उठलीगाम मतदान केंद्र पहुंचे। वहां आइटीबीपी के सात, राज्य पुलिस का एक जवान व चार मतदान कर्मी थे। मतदान केंद्र के बाहर लगभग 1200 लोगों की भीड़ थी, जो पथराव कर रही थी। कुछ लोगों ने पेट्रोल बम भी फेंके।
मेजर ने कहा कि हमने सभी आइटीबीपी कर्मयों, पुलिस कर्मी व मतदानकर्मियों को एंटीमाइन वाहन में बैठाया और वहां से निकला, लेकिन रास्ते में वाहन दलदल में फंस गया। इस बीच, मस्जिद से एलान हुआ और पथराव तेज हो गया। दो पेट्रोल बम भी आकर हमारे वाहनों के पास गिरे। हमने मेगाफोन पर लोगों से रास्ता छोड़ने की अपील भी की, लेकिन पथराव बढ़ गया और भीड़ पूरी तरह वाहनों के नजदीक पहुंच गई। मेरे पास गोली चलाने के सिवाय कोई चारा नहीं था, गोली चलाता तो बहुत से लोग मारे जाते। मुझे लगा कि जो पत्थरबाज पकड़ा है, उसे क्यों न जीप पर बांधने का जोखिम लिया जाए। मैंने किया और यह युक्ति काम कर गई। पथराव बंद हो गया, हम सभी सुरक्षित निकल आए। किसी पर गोली चलाने की नौबत ही नहीं आई।
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