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चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में जुटा भारत, उठाया ये महत्वपूर्ण कदम

पहले डीजी को केवल 7.5 करोड़ रुपये के स्वदेशी और तीन करोड़ रुपये के आयातित सामान की खरीदारी का अधिकार था।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Mon, 21 Aug 2017 09:10 AM (IST)Updated: Mon, 21 Aug 2017 02:50 PM (IST)
चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में जुटा भारत, उठाया ये महत्वपूर्ण कदम
चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में जुटा भारत, उठाया ये महत्वपूर्ण कदम

नई दिल्ली,एजेंसी। डोकलाम में भारत और चीन की सेना में तनातनी के बीच सरकार ने भारत-चीन सीमा पर रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण में तेजी लाने का फैसला लिया है। सड़कों के निर्माण में देरी से चिंतित रक्षा मंत्रालय ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकारों में बढ़ोतरी की है।

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सरकार का यह फैसला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के 61 महत्वपूर्ण रणनीतिक सड़कों के निर्माण में बीआरओ द्वारा देरी को लेकर कड़ी आपत्ति जताने के एक महीने बाद आया है। भारत-चीन सीमा सड़क परियोजना के तहत कुल 3,409 किलोमीटर लंबी सड़कें बननी हैं।

रक्षा मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि निर्माण कार्य में तेजी लाने और सेना की जरूरतों के अनुरूप परिणाम के लिए बीआरओ में आमूल परिवर्तन लाने का फैसला लिया गया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सेना चीन सीमा पर सड़क परियोजनाओं में देरी से नाखुश थी और रक्षा मंत्रालय से इन्हें तेजी से पूरा करने की मांग की थी। इन परियोजनाओं को 2012 में पूरा करना था।

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि प्रशासनिक अधिकारों के अतिरिक्त सरकार ने बीआरओ के महानिदेशक (डीजी) को 100 करोड़ रुपये तक की खरीदारी का वित्तीय अधिकार दिया है। इसमें स्वदेशी और आयातित निर्माण कार्य मशीनरी और साजोसामान दोनों शामिल हैं।

पहले डीजी को केवल 7.5 करोड़ रुपये के स्वदेशी और तीन करोड़ रुपये के आयातित सामान की खरीदारी का अधिकार था। इसके अलावा बीआरओ को सड़क परियोजनाओं के लिए बड़ी निर्माण कंपनियों को शामिल करने का फैसला लेने की भी मंजूरी दी गई।

मंत्रालय ने कहा है कि अब काम चाहे विभागीय स्तर का हो या कांट्रैक्ट के आधार पर, चीफ इंजीनियर को 50 करोड़ रुपये, एडीजी को 75 करोड़ रुपये और डीजी को 100 करोड़ रुपये तक के काम को प्रशासनिक मंजूरी देने का अधिकार होगा। नए प्रावधानों के तहत चीफ इंजीनियर को 10 की जगह 100 करोड़ और एडीजी को 20 की जगह 300 करोड़ रुपये के कांट्रैक्ट पर अमल मंजूर करने का अधिकार होगा। 

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