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भाजपा राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज, आडवाणी का संबोधन नहीं ?

ऐतिहासिक जीत के साथ केंद्र में सरकार के कामयाब साल और दस करोड़ से ज्यादा सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनने की खुशी में भाजपा कोई खलल नहीं चाहती। संभवत: यही कारण है कि अक्सर अपने संबोधन से बेवजह विवाद का कथित सूत्र देने वाले लालकृष्ण आडवाणी बेंगलुरु राष्ट्रीय

By anand rajEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2015 09:45 AM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2015 09:58 AM (IST)
भाजपा राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज, आडवाणी का संबोधन नहीं ?

बेंगलुरु [आशुतोष झा]। ऐतिहासिक जीत के साथ केंद्र में सरकार के कामयाब साल और दस करोड़ से ज्यादा सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनने की खुशी में भाजपा कोई खलल नहीं चाहती। संभवत: यही कारण है कि अक्सर अपने संबोधन से बेवजह विवाद का कथित सूत्र देने वाले लालकृष्ण आडवाणी बेंगलुरु राष्ट्रीय कार्यकारिणी में चुप रहेंगे। बैठक से एक दिन पहले गुरुवार की देर रात तक इस बात को लेकर संशय रहा कि आडवाणी का संबोधन होगा या नहीं। अगर वह बोले भी तो बदले-बदले होंगे।

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शुक्रवार से बेंगलुरु में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है। इसका महत्व इसलिए ज्यादा है क्योंकि केंद्र में सरकार गठन के बाद यह पहली बैठक है। जाहिर है कि इसमें देश से लेकर विदेश के मोर्चों तक सरकार की उपलब्धियों का बखान होगा। पूरी रूपरेखा उसी लिहाज से बनाई गई है। इसमें पूरा फोकस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों पर होगा।

सूत्रों के अनुसार इसमें आडवाणी के संबोधन को प्रासंगिक नहीं माना जा रहा था। भाजपा के मार्गदर्शक मंडल तक सिमटाए जा चुके लालकृष्ण आडवाणी के पिछले इतिहास को देखते हुए पार्टी नेतृत्व नहीं चाहता कि वह कोई ऐसा बयान दें जिससे सरकार और पार्टी पर अंगुली उठे। यही कारण है कि कार्यक्रम में उनके संबोधन के लिए समय नहीं रखा गया। हां, यह संदेश जरूर आडवाणी तक भी पहुंचा दिया गया कि वह चाहें तो बोलें लेकिन यह ध्यान रखें कि पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित हैं।

सरकार तेज गति से देश और विदेश के मोर्चों पर बढ़ रही है तो पार्टी ने भी नया कीर्तिमान बनाया है। बताते हैं कि नेतृत्व आडवाणी से इसलिए आशंकित है क्योंकि पिछली बैठकों में परोक्ष रूप से नेतृत्व के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं। अब हर किसी का ध्यान इस पर है कि आडवाणी शनिवार को बैठक में संबोधन करते हैं या नहीं। उल्लेखनीय है कि पिछली बार गोवा अधिवेशन में आडवाणी ने ना जाकर जो भूल की थी, कम से कम वैसी भूल वह इस बार तो नहीं कर रहे।

दस करोड़ सदस्यों को कार्यकर्ता बनाने की जरूरत : मोदी

गुरुवार की शाम बेंगलुरु पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह की प्रशंसा करते हुए सदस्यता अभियान को ऐतिहासिक बताया। परोक्ष रूप से उन्होंने शाह की तुलना गांधी, लोहिया जैसे लोगों से भी की जिनके नेतृत्व में आंधी चली थी। मोदी ने कहा कि सरकार बड़ी नहीं होती है, पार्टी का बड़ा महत्व होता है और अब इन 10 करोड़ सदस्यों को कार्यकर्ता बनाने की जरूरत है। इस क्रम में उन्होंने स्वच्छता अभियान, गंगा समेत दूसरी नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जनमानस को तैयार करने की भी बात कही।

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