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मणिपुर में तकनीक के जरिये प्रचार में बढ़त बना रही भाजपा

मणिपुर के कुल क्षेत्रफल का 90 फीसद हिस्सा ऊंचे-ऊंचे पहाड़ोंवाला है। सिर्फ 10 फीसद हिस्सा ही मैदानी है, जिसे यहां सामान्य भाषा में 'वैली' यानी घाटी कहते हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 05:53 PM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 06:10 PM (IST)
मणिपुर में तकनीक के जरिये प्रचार में बढ़त बना रही भाजपा
मणिपुर में तकनीक के जरिये प्रचार में बढ़त बना रही भाजपा

ओमप्रकाश तिवारी, इंफाल । भाजपा मणिपुर में न सिर्फ अपने केंद्रीय नेताओं के दौरे करवाकर बल्कि तकनीक के सहारे भी प्रचार में कांग्रेस पर बढ़त बना रही है।

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मणिपुर के कुल क्षेत्रफल का 90 फीसद हिस्सा ऊंचे-ऊंचे पहाड़ोंवाला है। सिर्फ 10 फीसद हिस्सा ही मैदानी है, जिसे यहां सामान्य भाषा में 'वैली' यानी घाटी कहते हैं। ये और बात है कि पहाड़ी इलाकों में राज्य की सिर्फ 30 फीसद आबादी रहती है जबकि 70 फीसद जनसंख्या का बोझ वैली यानी मैदानी क्षेत्र को उठाना पड़ता है। पहाड़ों में दूर-दूर बसे 15-20 घरों के गांवों में चुनाव प्रचार अभियान चलाना आसान नहीं होता। इस मुश्किल को समझते हुए यहां पहली बार विधानसभा की सभी 60 सीटों पर लड़ रही भाजपा ने काफी पहले से प्रचार में तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बनाई। उसकी यह योजना रंग भी लाती दिखाई दे रही है।

भाजपा के पूर्वोत्तर प्रांतों के महासचिव (संगठन) अजय जमवाल बताते हैं कि फेसबुक, वाट्सएप के अलावा वीडियो वैन के जरिये भाजपा दूरदराज के इलाकों में अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में कामयाब हो रही है। पार्टी ने 20 प्रचार रथ (वीडियो वैन) तैयार कराए हैं। एक-एक प्रचार रथ एक दिन में 10 से 12 स्थानों पर पहुंचकर 20 मिनट की संगीतमय फिल्म दिखाता है। इन फिल्मों के जरिये मोदी सरकार द्वारा खासतौर से पूर्वोत्तर के लिए बनाई गई योजनाओं की जानकारी दी जाती है। इन प्रचार रथों के जरिये होनेवाले सकारात्मक प्रचार से लोग बदलाव के लिए सोचने पर विवश होते हैं।

भाजपा की सोशल मीडिया टीम का नेतृत्व कर रहीं सुब्रास्था बताती हैं कि पार्टी का सोशल मीडिया कैंपेन विशेष तौर पर पहाड़ी इलाकों में लोगों तक पार्टी की नीतियों एवं विरोधी दल की खामियों को पहुंचाने में खासा काम आ रहा है। फेसबुक पर बनाए गए मणिपुर भाजपा के पेज पर न सिर्फ उनकी टीम पार्टी की नवीनतम गतिविधियों को पोस्ट करती है बल्कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों को भी सचित्र पोस्ट किया जाता है। ऐसा ही एक मुद्दा मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के पुत्र ओकराम हेनरी के ड्रग मामले में संलिप्त होने को लेकर डाला गया था। जिसे करीब 35,000 लोगों ने देखा। सुब्रास्था बताती हैं कि फेसबुक पृष्ठ पर सोशल मीडिया टीम कोई एक मुद्दा पोस्ट कर तीन-चार दिनों तक चलाती है, फिर कोई नया मुद्दा डाल देती है। अब तक वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बढ़ी बेरोजगारी, राज्य में पेयजल की किल्लत इत्यादि के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया है।


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