19 लाख करोड़ रुपये के फंसे प्रोजेक्टों को रफ्तार देंगे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय कर लिया है कि परियोजनाओं की राह में वह लालफीताशाही को आड़े नहीं आने देंगे। भारत को मैन्यूफैक्चरिंग का केंद्र बनाने के अपने इरादों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए उन्होंने परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) पर सीधे नियंत्रण का बंदोबस्त कर लिया
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय कर लिया है कि परियोजनाओं की राह में वह लालफीताशाही को आड़े नहीं आने देंगे। भारत को मैन्यूफैक्चरिंग का केंद्र बनाने के अपने इरादों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए उन्होंने परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) पर सीधे नियंत्रण का बंदोबस्त कर लिया है। इसकी अध्यक्षता पीएम अपने किसी विश्वस्त अधिकारी को सौंपने की तैयारी में हैं। पीएमजी के जरिये 300 अरब डॉलर यानी करीब 19 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं के रास्तों में आने वाली अड़चनों को त्वरित गति से दूर किया जाएगा। मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
पूर्व में कैबिनेट सचिवालय का हिस्सा रहे पीएमजी को अपने नियंत्रण में लाकर मोदी कोयला, बिजली, स्टील और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में निवेश की योजना बना रही फर्मो की बड़ी मदद कर सकते हैं। ऐसे प्रोजेक्टों को 180 तरह की मंजूरियों से गुजरना पड़ता है।
अधिकारियों के मुताबिक, परियोजनाओं की मंजूरी से जुड़े मसलों पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सीधे निगरानी करेगा। इसका साफ मतलब है कि कार्यकुशलता बढ़ेगी और प्रत्येक चरण में मंजूरी का काम तेजी से होगा। पीएमओ की मुहर बड़ा अंतर पैदा करती है।
बताया गया कि निगरानी समूह की अध्यक्षता मोदी के एक विश्वस्त अधिकारी को सौंपी जाएगी। उनका मोदी के साथ काम करने का पुराना अनुभव है। वह उन कुछ चुनिंदा वरिष्ठ अधिकारियों में हैं जिनके साथ बैठकर पीएमओ प्रमुख निर्णय लेता है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बीते साल पीएमजी का गठन किया था। इसका मकसद उन मंत्रियों और नौकरशाहों पर नकेल कसना था जो फाइलों को लटकाए रहते हैं। माना जाता है कि यह लचर रवैया लगातार दो साल तक पांच फीसद से कम आर्थिक विकास दर के लिए अहम कारण बना।
अब तक क्या किया
अपने गठन के बाद से देश में 197 प्रोजेक्टों की स्थापना में पीएमजी ने मदद मुहैया कराई है। ये परियोजनाएं 110 अरब डॉलर की हैं। दक्षिण कोरियाई स्टील फर्म पोस्को उन तमाम कंपनियों में है जो पीएमजी के पास पहुंच चुकी है। पोस्को 12 अरब डॉलर का स्टील प्लांट लगाने के लिए नौ साल से प्रतीक्षारत है। यह भारत में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होगा। टाटा पावर और अडानी पावर भी उन शीर्ष कंपनियों में हैं जिन्हें मंजूरियों का इंतजार है।