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त्योहारों की महारानी दीपावली

लक्ष्मी ने कदम रखे हैं हमारे यहां। हमने सोचा भी नहीं था कि बहू के गृहप्रवेश करते ही कपिल को इतना बड़ा प्रोजेक्ट मिलेगा। बहुत लकी है शालिनी है हमारे लिए। मैं हमेशा से कपिल से कहती थी कि बहू को आने दो, वह तुम्हारे लिए कामयाबी लेकर आएगी। बहू घर की लक्ष्मी होत्

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 01:43 PM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 01:43 PM (IST)
त्योहारों की महारानी दीपावली

लक्ष्मी ने कदम रखे हैं हमारे यहां।

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हमने सोचा भी नहीं था कि बहू के गृहप्रवेश करते ही कपिल को इतना बड़ा प्रोजेक्ट मिलेगा। बहुत लकी है शालिनी है हमारे लिए। मैं हमेशा से कपिल से कहती थी कि बहू को आने दो, वह तुम्हारे लिए कामयाबी लेकर आएगी। बहू घर की लक्ष्मी होती है। अब देखो कपिल भी खुश है,और शालिनी भी।' सासू मां का हर आने-जाने वाले से यह कहना शालिनी को खुश कर रहा था। घर की लक्ष्मी कहे जाने पर वह रेसपेक्ट फील कर रही थी, लेकिन मन में यह सवाल भी थे कि अगर कपिल को ऐसा अवसर नहीं मिलता तो..? बिजनेस में कुछ कमी हो जाती तो..? तो भी क्या उन्हें ऐसा ही सम्मान मिलता?

दीपावली आने के साथ ही देवोत्थानी एकादशी से विवाह कार्य आरंभ हो जाते हैं और अपने ससुराल को रोशन करने के लिए लड़कियां नए परिवार में कदम रखती हैं। इन्हें लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। माता-पिता कहते हैं हमारे घर की लक्ष्मी पराई हो जाएगी और होने वाले सास-ससुर को लगता है कि नई बहू के कदमों के साथ लक्ष्मी का आगमन हो। नए परिवेश में जाने वाली इस लक्ष्मी का खुद क्या सोचना है? उसके मन की भावनाएं क्या हैं? कौन से डर हैं और कौन सी अपेक्षाएं हैं उसकी? पति के घर को किस तरह रोशन करने की प्लानिंग की है उसने? ससुराल में उजियारा फैलाने वाली इन युवतियों के मन में क्या हमने कभी झांकने की कोशिश की है? लक्ष्मी कहलाने पर वे खुश तो होती हैं, लेकिन मन में आशंकाएं भी कम नहीं होती।

हाथों के प्रिंट लॉकर में रखे मां ने

'जब मेरी शादी हुई थी तो दीपावली का ही टाइम था। मैंने रंगोली बनाई तो मेरी सासूमां खुश हो गई और कहने लगीं कि लक्ष्मी के रूप में तुम हमारे घर आई हो। इससे मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने तुरंत अपनी मम्मी को फोन करके बताया कि सासूमां मुझे लक्ष्मी बता रही हैं तो मेरी मॉम की चिंता काफी कम हो गई। उनको हर समय यही लगता था कि मैं ससुराल में कैसे एडजस्ट करूंगी।' अपनी खुशी का इजहार करते हुए चहकती हैं श्रद्धा महानी। उन्हें खुशी इस बात की भी थी कि उनकी मॉम की चिंताएं कम हुई हैं। पिछले साल विवाह सूत्र में बंधने वाली श्रद्धा ससुराल में लक्ष्मी के रूप में स्वागत किए जाने पर बेहद खुश हैं। वह कहती हैं, 'और तो और जब हम हनीमून से घर लौट रहे थे तो मेरे पति करण भल्ला को मेल आई, जिसमें उनके प्रमोशन और अप्रेजल की सूचना थी। करण टीम लीडर बन गए थे। करण खुश हो गए और बोले तुम तो सचमुच लक्ष्मी हो। शादी से पहले मेरी मम्मी भी कहती थीं कि तुम हमारे लिए काफी लकी हो। तुम घर की लक्ष्मी हो, तुम चली जाओगी तो हमें बहुत बुरा लगेगा। तब मैं इमोशनल हो जाती। मॉम से कहती कि मैं कहीं नहीं जा रही हूं। मैं वहां भी मैनेज करूंगी और यहां भी। आप चिंता न करें, लेकिन शादी के समय मॉम ने कपड़े पर मेरे हाथों के प्रिंट लिए और उन्हें लॉकर में रखा है।'

को-इंसिडेंस ही तो है

नये लोग, नये रिश्ते की बुनियाद। डर रहता है घर की लक्ष्मी को कि वह कैसे होगी आबाद। प्रेरणा की शादी इसी देवोत्थानी एकादशी को होने वाली है। उनका रिश्ता होने के बाद से उनकी ससुराल में सब अच्छा ही हो रहा है। कहा जा रहा है कि उनके कदम शुभ हैं, लेकिन उनके मन में आशंका कम नहीं। घर की लक्ष्मी कहा जाने पर उन्हें कैसा फील होता है? इसका जवाब देते हुए वह कहती हैं, 'जब कोई कहता है कि लक्ष्मी घर में आ रही है तो इम्पॉर्टेट फील होता है, लेकिन साथ ही एक जिम्मेदारी का अहसास भी हो जाता है। वैसे तो यह सब अंधविश्वास है, को-इंसिडेंस है कि आपकी कंपेटेबिलिटी कितनी मैच करती है, आप कितनी लकी साबित होती हैं, लेकिन इंडियन सोसायटी ऐसा मानती है तो कोई एतराज भी नहीं करता। हालांकि यह जितना पॉजिटिव है, उतना ही निगेटिव भी हो सकता है। डर रहता है कि कुछ गलत न हो। जैसे लोग लक्ष्मी कह देते हैं वैसे ही उन्हें गलत को जोड़ने में भी टाइम नहीं लगता। मेरे इन-लॉज का तो कहना है कि महालक्ष्मी आ रही है।' ससुराल की ओर बढ़ती इस लक्ष्मी के मन में अपनी मॉम की चिंताएं भी कम नहीं हैं। वह कहती हैं, 'मेरी मॉम को तो एक साथी खोने का डर है। बेटी अपनी मां के बहुत पास होती है। माॉम सोचती हैं कि मुझसे उनकी शेयरिंग कम हो जाएगी। वह मुझे खुलकर एडवाइस नहीं कर सकेंगी। इसलिए बार-बार कहती हैं कि लक्ष्मी घर से चली जाएगी, लेकिन मैं कहती हूं कि आपको आगे बढ़ना है, भाई की शादी होगी तो आपके घर भी तो लक्ष्मी आएगी।'

फीलगुड फैक्टर है

'जब लड़कियों को लक्ष्मी कहकर रेसपेक्ट दी जाती है तो बहुत अच्छा लगता है। मैंने अपने घर में तो कई बार सुना कि मैं लकी हूं घर के लिए। यह फीलगुड फैक्टर है। दीदी तो बहुत अटैच्ड हैं मुझसे। हर वक्त मम्मी से कहतीं कि इसके जाने से पहले इसके पैरों की छाप ले लो। मुझे हंसी आती उनकी बात सुनकर, लेकिन हम लड़कियां भी तारीफ लेने में पीछे नहीं रहतीं। कोई मौका नहीं छोड़तीं। जब मुझे लक्ष्मी कहा जाता है तो मैं बहुत खुश होती हूं।' शिवानी शर्मा इसे फीलगुड फैक्टर मानती हैं। वह कहती हैं, 'मेरा जब रिश्ता पक्का हुआ तब पिछले कुछ सालों से अटका हुआ घर पति हिमांशु वर्मा को मिल गया। शादी के एकदम बाद हमने गाड़ी भी ले ली। घर में सब हंसते भी हैं कि, 'वाह, हिमांशु बाबू, नया घर, नई बीवी, नई कार.., बढि़या है..' लेकिन ऐसा नहीं है कि शादी के बाद हम लक्ष्मी ही होती हैं। कई लॉसेज भी होते हैं, पर खुश रहने के बहाने भी तो चाहिए।'

डिपेंड करता है भावना पर

आज की यह लक्ष्मी अपनी हर स्थिति का पूरा आकलन करती है। वह जानती है कि उसे लक्ष्मी कहना एक संयोग की तरह है। फिर भी सबका मन रखने के लिए वह एक शब्द नहीं बोलती और खुशी-खुशी इस आदर को स्वीकारती है। परंतु पैसा कमाने या दहेज लाने के लिए लक्ष्मी माना जाए तो उसे गवारा नहीं। शिवानी कहती भी हैं, 'मैंने आ‌र्ट्स पढ़ी है। सभ्यता की शुरुआत में महिलाओं को काफी आदर दिया जाता था, लेकिन फिर इसमें गिरावट आई। अब एक बार फिर से हम महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहे हैं। पुराने फेज में वापसी की कोशिश कर रहे हैं तो हमें लक्ष्मी कहना हमारी रेसपेक्ट है। हां, अगर बहू को लक्ष्मी का रूप इस नजर से मानें कि वो क्या दहेज लाने वाली है या फिर अच्छा-खासा कमाने वाली है तो यह गलत होगा। डिपेंड करता है कि आप किस भावना से लक्ष्मी कह रहे हैं।'

एक-दूसरे के लिए लकी हैं हम

'एक महीने पहले ही हमारा 'रोका' हुआ है। मैं और मेरे होने वाले पति दोनों गुड़गांव में एमएनसी में काम करते हैं। संयोग देखिए कि जैसे ही हमारा रिश्ता तय हुआ, इनका प्रमोशन हुआ और मेरी जॉब चेंज हुई। हमारे पैकेज भी बढ़े और दोनों मैनेजर बन गए। हम तो कहते हैं कि हम एक-दूसरे के लिए लकी हैं।' यह कहती हैं शिखा, जिनकी फरवरी में शादी है। शिखा को लगता है कि लक्ष्मी कहे जाने की प्रथा बेशक अच्छी है। इससे मन को खुशी मिलती है, लेकिन केवल लड़की ही नहीं लड़के भी तो घर के लिए लकी होते हैं। ऐसा ही प्रेरणा की मदर-इन-लॉ भी कहती हैं। जब प्रेरणा की मॉम उनसे बात करती हैं और कहती हैं कि हमारे घर की लक्ष्मी है प्रेरणा, इसके जन्म के बाद से ही हमारी समृद्धि बढ़ी है तो उनका जवाब होता है कि आप यह मत सोचिए कि लक्ष्मी जा रही है। 'लकी' भी तो आपके घर आ रहा है। मजे की बात है कि प्रेरणा के होने वाले पति के घर का नाम 'लकी' है।

(यशा माथुर)


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