श्रीनि को 2000 करोड़ की चेन्नई टीम की चिंता
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के चेयरमैन एन. श्रीनिवासन किसी भी कीमत पर तीसरी बार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के अध्यक्ष पद पर काबिज होना चाहते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के तेवर उनके खिलाफ हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आइपीएल-6 स्पॉट फिक्सिंग मामले में मुद्गल समिति की जांच रिपोर्ट पर सुनवाई
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के चेयरमैन एन. श्रीनिवासन किसी भी कीमत पर तीसरी बार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के अध्यक्ष पद पर काबिज होना चाहते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के तेवर उनके खिलाफ हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आइपीएल-6 स्पॉट फिक्सिंग मामले में मुद्गल समिति की जांच रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए श्रीनिवासन को आड़े हाथों लिया है, लेकिन इसके बावजूद बीसीसीआई के दिग्गज आंखें मूंदे बैठे हैं।
जब श्रीनिवासन बीसीसीआइ सचिव थे तब इंडिया सीमेंट्स ने आइपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स को खरीदा था। इसके बाद जब हितों के टकराव की बात सामने आई तो वह इस टीम के बोर्ड से निकल गए। हालांकि यह सबको पता है कि यह टीम उन्हीं की है, जबकि वह इसे इंडिया सीमेंट्स का बताकर हितों का टकराव होने से इन्कार करते हैं। श्रीनि सिर्फ और सिर्फ चेन्नई सुपर किंग्स की वजह से बीसीसीआइ अध्यक्ष पद पर काबिज होना चाहते हैं, क्योंकि अगर विरोधी गुट काबिज हो गया तो इस टीम का आईपीएल से बर्खास्त होना तय है। आईपीएल के नियमानुसार बीसीसीआइ के पास इस टीम को बर्खास्त करने के पूरे अधिकार हैं। इसके अलावा श्रीनि के करीबी कई क्रिकेटरों पर भी गाज गिरना तय है। वह नहीं चाहते कि 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा ब्रांड वैल्यू की टीम आइपीएल से बाहर जाए। यह उनके लिए बड़ा झटका होगा।
वक्त बदलता देखकर दल बदल लेते हैं बोर्ड के सदस्य :
बीसीसीआइ के अधिकतर अधिकारी अभी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहते। बोर्ड के एक उपाध्यक्ष ने कहा कि अभी तेल देखो और तेल की धार देखो। उन्होंने कहा कि बोर्ड में वोटों की गिनती श्रीनिवासन के पक्ष में है और अधिकतर मजबूत लोग उनके समर्थन में हैं, लेकिन सभी सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पर नजरें गड़ाए हुए हैं। अगर कुछ भी श्रीनि के खिलाफ जाता है तो अधिकतर पलटी मारते हुए नजर आएंगे। ऐसा जगमोहन डालमिया और शरद पवार के समय भी हो चुका है। यहां सब इसी आधार पर चलता है। कोई भी तब तक श्रीनिवासन का विरोध नहीं करेगा जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई कड़ा फैसला नहीं सुना देता।