इस ऐतिहासिक जीत से जुड़ी ये तीन चीजें हैं बेहद खास..
जब भारतीय टीम ने लॉर्ड्स में पहली बार टेस्ट मैच जीता था तब टीम के प्रमुख गेंदबाजों में रोजर बिन्नी भी शामिल थे। वहीं, इस बार भारतीय टीम में रोजर के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी शामिल रहे। लॉर्ड्स पर जीत हासिल करने वाली टीम में शामिल होने वाली ये एकमात्र पिता-बेटे की भारतीय जोड़ी बन गई है।
नई दिल्ली। लॉर्ड्स टेस्ट में टीम इंडिया ने मेजबान इंग्लैंड को हराकर 28 साल के इंतजार को खत्म किया। भारतीय खिलाड़ियों ने दिखा दिया कि विदेशी पिचों पर भी वो अपना दबदबा कायम रखने का दम रखते हैं। इस खास टेस्ट मैच में यूं तो कई चीजें ऐसी रहीं जो फैंस को लंबे समय तक याद रहेंगी लेकिन इस जीत से जुड़ी तीन चीजें ऐसी भी रहीं जिस पर कम ही लोगों ने गौर किया होगा। आइए जानते हैं क्या हैं ये तीन दिलचस्प बातें..
1. शर्मा का दम:
इस बार लॉर्ड्स की जीत में टीम इंडिया के नायक साबित हुए गेंदबाज इशांत शर्मा (दूसरी पारी में शानदार 7 विकेट) और पहली बार जब 1986 में भारतीय टीम ने यहां मैच जीता था तब भी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 'शर्मा' ने ही की थी। उस दौरान वो काम किया था चेतन शर्मा ने। चेतन ने पहली पारी में 64 रन देकर 5 विकेट झटके थे जबकि दूसरी पारी में उन्होंने पिच पर जमे हुए इन फॉर्म बल्लेबाज माइक गेटिंग को बोल्ड किया था।
2. पिता और बेटे का अद्भुत रिकॉर्ड:
1986 में जब भारतीय टीम ने लॉर्ड्स में पहली बार टेस्ट मैच जीता था तब टीम के प्रमुख गेंदबाजों में रोजर बिन्नी भी शामिल थे। वहीं, इस बार भारतीय टीम में रोजर के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी शामिल रहे। लॉर्ड्स पर जीत हासिल करने वाली टीम में शामिल होने वाली ये एकमात्र पिता-बेटे की भारतीय जोड़ी बन गई है। यही नहीं, सबसे हैरानी वाली बात ये रही कि दोनों ने रन भी ठीक एक जैसे ही बनाए थे। रोजर बिन्नी ने 1986 वाले मैच की पहली पारी में 19 गेंद खेलकर 9 रन बनाए थे जबकि 28 साल बाद उनके बेटे ने भी पहली पारी में इतनी ही गेंदें खेलीं और इतने ही रन बनाए।
3. कपिल और धौनी का '28' कनेक्शन:
1986 में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर कपिल देव ने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को जीत दिलाई थी। वहीं, 28 साल बाद महेंद्र सिंह धौनी ने अपनी अगुआई में एक युवा टीम के साथ ये कारनामा करके सभी को रोमांचित कर दिया। जबकि इससे पहले 2011 में जब भारतीय टीम ने धौनी की अगुआई में वनडे विश्व कप जीता था तो उसके लिए भी फैंस को 28 साल का ही इंतजार करना पड़ा था। उससे पहले कपिल देव की कप्तानी में 1983 में भारतीय टीम ने इंग्लैंड में विश्व कप खिताब जीता था।
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