ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं
जब मौद्रिक नीति की बात होती है तो आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन बहुत ज्यादा चौंकाने की कोशिश नहीं करते। मंगलवार को भी उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, जो बाजार या निवेशकों के उम्मीदों के विपरीत हो। उन्होंने मौद्रिक नीति की दोमाही समीक्षा करते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जब मौद्रिक नीति की बात होती है तो आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन बहुत ज्यादा चौंकाने की कोशिश नहीं करते। मंगलवार को भी उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, जो बाजार या निवेशकों के उम्मीदों के विपरीत हो। उन्होंने मौद्रिक नीति की दोमाही समीक्षा करते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। होम, ऑटो लोन व अन्य कर्ज की दरों को प्रभावित करने वाली वैधानिक दर रेपो रेट को 6.75 फीसद पर बनाए रखा है। लेकिन इससे बुरी खबर यह है कि उन्होंने हाल-फिलहाल कर्ज के और सस्ता होने की उम्मीदों पर भी एक तरह से पानी फेर दिया है। आर्थिक विकास दर के संतोषप्रद आंकड़ों और महंगाई दर के फिर से बढ़ने के आसार की वजह से ब्याज दर अगले कुछ महीनों तक मौजूदा स्तर पर ही बनी रह सकती हैं।
राजन ने चालू वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के 7.4 फीसद रहने के अनुमान को बरकरार रखा है। यह इसका संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया के तमाम देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। गवर्नर ने स्वीकार किया है कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग की वृद्धि दर के 9.3 फीसद के आंकड़े के बाद रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर को ब्याज दरों में कटौती की खास जरूरत नहीं महसूस नहीं हुई होगी। आगे क्या होगा यह बहुत कुछ महंगाई की स्थिति पर निर्भर करेगा। राजन ने बाद में कहा भी है, ‘अगले दो महीनों तक खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों पर नजर रखने की जरूरत है।’ इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब भी उसके लिए मौद्रिक नीति का मतलब महंगाई पर काबू पाना है।
आरबीआइ ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर के पांच फीसद पर रखने का लक्ष्य रखा है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि खुदरा महंगाई की दर एक बार फिर बढ़ कर पांच फीसद से ऊपर हो गई है। राजन के मुताबिक महंगाई की दर इस महीने और बढ़ सकती है। हालांकि, इसके बाद इसमें नरमी आने के आसार हैं। बहरहाल, पिछले एक वर्ष में आरबीआइ की तरफ से रेपो रेट (वह दर जिस पर केंद्रीय बैंक कम अवधि के लिए बैंकों को कर्ज देता है) में 1.25 फीसद की जो कटौती की है। उसका फायदा बैंकों ने जनता को अभी तक नहीं दिया है। इस पर राजन ने गुस्सा प्रकट करते हुए कहा कि बैंकों ने औसतन सिर्फ 0.60 फीसद की राहत ग्राहकों को दी है। आरबीआइ इस व्यवस्था में सुधारने की कोशिश कर रहा है। जल्द ही बैंकों के लिए बेस रेट तय करने के नए नियम बनाए जाएंगे।
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