अर्थव्यवस्था का बूस्टर साबित होंगी तेज रेल परियोजनाएं
रकार द्वारा रेल परियोजनाओं के क्रियान्वयन की रफ्तार बढ़ाए जाने से देश में सीमेंट, स्टील और तांबे की खपत में जबरदस्त इजाफा होने की संभावना है। इससे उद्योगों की हालत तो सुधरेगी ही, संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई रफ्तार प्राप्त होगी। रेलवे बोर्ड के सदस्य, इंजीनियरिंग वीके गुप्ता के अनुसार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार द्वारा रेल परियोजनाओं के क्रियान्वयन की रफ्तार बढ़ाए जाने से देश में सीमेंट, स्टील और तांबे की खपत में जबरदस्त इजाफा होने की संभावना है। इससे उद्योगों की हालत तो सुधरेगी ही, संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई रफ्तार प्राप्त होगी।
रेलवे बोर्ड के सदस्य, इंजीनियरिंग वीके गुप्ता के अनुसार 2015-16 के रेल बजट में तय किए गए लक्ष्यों के मुताबिक 31 मार्च, 2016 तक इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर लगभग 43,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। इस राशि का इस्तेमाल नई लाइनों, दोहरीकरण व आमान परिवर्तन परियोजनाओं में होगा। कुल मिलाकर वर्ष के दौरान 2500 किलोमीटर लाइनें बिछाने का लक्ष्य है। इस प्रक्रिया में तकरीबन 30 लाख टन सीमेंट, 13 लाख टन इस्पात (स्टील) , 7 हजार टन तांबे के तार तथा 14 हजार किलोमीटर सिगनल केबल तथा 15 हजार वैगनों की खपत होने की संभावना है। अगले पांच सालों रेलवे कुल मिलाकर 17 हजार किलोमीटर लाइनों के निर्माण का रेलवे का इरादा है।
अब तक तकरीबन 673 किलोमीटर लाइनें बिछाई जा चुकी हैं। इनमें 108 किमी लंबी आगरा-इटावा नई लाइन, 23 किमी लंबी ललितपुर-सिंगरौली नई लाइन का मवई-खड़गपुर खंड, 46.8 किमी लंबी खड़गपुर-छतरपुर नई लाइन शामिल है। इसके अलावा पोलाची-पालघाट (54 किमी) आमान परिवर्तन तथा अंबाला कैंट-धप्पर दोहरीकरण (24 किमी), खुकराना-पानीपत दोहरीकरण (आठ किमी) शामिल है।
नीति आयोग की मंजूरी मिलने पर 28 नई परियोजनाओं पर भी शीघ्र काम शुरू होगा। इनमें सिकंदराबाद-महबूबनगर दोहरीकरण, पथुरा-पलवल चौथी लाइन परियोजना शामिल है। इस बीच कैबिनेट को भेजी गई 15 परियोजनाओं में से चार को मंजूरी प्राप्त हो चुकी है।
24 रूटों पर बढ़ेगी ट्रेनों की रफ्तार : इस बीच रेल मंत्रालय ने 24 व्यस्त रेल गलियारों पर यातायात को सुगम बनाने और रुकावटें दूर करने के उपाय शुरू कर दिए हैं। इनमें दिल्ली-हावड़ा (केवल बाईपास), दिल्ली-गुवाहाटी-लंमडिंग दिल्ली-चेन्नई, छपरा-बलिया-वाराणसी-भदोही-जंघाई-फाफामऊ-इलाहाबाद, मथुरा-अलवर-रेवाड़ी-हिसार-भटिंडा-सूरतगढ़-राजपुरा, अमृतसर-लुधियाना-सहारनपुर-मुरादाबाद-लखनऊ-सुल्तानपुर-जाफराबाद,धनबाद-गढ़वा रोड-सोननगर-सिंगरौली-कटनी-बीना-कोटा रूट शामिल हैं।
नई तकनीक रोकेगी रेल फ्रैक्चर : गुप्ता के अनुसार कई मर्तबा समय पर रेल फैक्चर (पटरी में दरार) का पता न लगने से हादसे होते हैं। इसे रोकने के लिए नई अत्याधुनिक टेक्नालॉजी के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है। इस कंप्यूटरीकृत पद्धति से फैक्चर्स का पहले से पता लगाना संभव है। इसके अलावा तापमान में बड़ा अंतर पैदा होने पटरियों में टेढ़ेपन अथवा दरार से बचने के लिए पटरियों का नियमित तापमान लेने की प्रणाली भी अपनाई जा रही है। इसका विकास क्रिस ने किया है।
जलस्तर का एलर्ट : चुनिंदा नदियों और पुलों पर पानी का स्तर बढ़ने की जानकारी देने वाली एलर्ट प्रणाली लगाने पर भी विचार हो रहा है।