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भारतीय कंपनियों पर एच-1बी वीजा फीस का बोझ बढ़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बावजूद अमेरिका ने एच-1बी और एल-1 वीजा फीस में बढ़ोतरी कर दी है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 27 May 2016 09:32 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2016 06:24 AM (IST)
भारतीय कंपनियों पर एच-1बी वीजा फीस का बोझ बढ़ा

वाशिंगटन, प्रेट्र। भारतीय आइटी कंपनियों के लिए अच्छी खबर नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बावजूद अमेरिका ने एच-1बी और एल-1 वीजा फीस में बढ़ोतरी कर दी है। प्रत्येक एच-1बी वीजा आवेदन पर अब कंपनियों को कम से कम अतिरिक्त 4,000 डॉलर चुकाने होंगे। बीते साल दिसंबर में प्रभावी नए नियमों के तहत ऐसा हुआ है। शुल्क वृद्धि पर विस्तृत ब्योरा अमेरिका की एक संघीय एजेंसी ने वेबसाइट पर प्रकाशित किया है।

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नए कानून के मुताबिक, एल-1 वीजा के लिए आवेदन करने वालों को अमेरिकी कंपनियों के मुकाबले 4,500 डॉलर ज्यादा देने होंगे। नया कानून 30 सितंबर 2025 तक लागू रहेगा। एच-1बी वीजा कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को विशेष व्यवसायों में नौकरी पर रखने की अनुमति प्रदान करता है। एल-1 वीजा ऐसी कंपनी के कर्मचारियों को दिया जाता है जिनका अमेरिका और विदेश दोनों जगह ऑफिस होता है।

भारतीय आइटी कंपनियों पर इसके चलते करीब 40 करोड़ डॉलर सालाना (लगभग 2680 करोड़ रुपये) का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। उन्होंने नए नियमों को भेदभावपूर्ण करार दिया है। प्रधानमंत्री मोदी खुद भी यह मामला उच्चतम स्तर पर उठा चुके हैं।

अमेरिका की फेडरल सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआइएस) की वेबसाइट पर बढ़ी हुई फीस का ब्योरा पोस्ट कर दिया गया है। इसके मुताबिक, एच-1बी आवेदकों को अतिरिक्त 4,000 डॉलर देने होंगे, यदि कंपनी के अमेरिका में 50 या इससे ज्यादा कर्मचारी हैं। एल-1 वीजा के लिए आवेदन करने पर यह आंकड़ा बढ़कर 4,500 डॉलर हो जाता है।

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