महंगाई रोकने में सरकारी बाबुओं से उठा भरोसा
दाल और प्याज जैसी जिंसों की किल्लत से उपजी महंगाई से आजिज केंद्र सरकार इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए दूरगामी रणनीति बनाने में जुट गई है। साल दर साल ऐसी जिंसों की कमी से होने वाली महंगाई सरकार के लिए मुश्किलों का सबब बन गई है। हमेशा
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। दाल और प्याज जैसी जिंसों की किल्लत से उपजी महंगाई से आजिज केंद्र सरकार इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए दूरगामी रणनीति बनाने में जुट गई है। साल दर साल ऐसी जिंसों की कमी से होने वाली महंगाई सरकार के लिए मुश्किलों का सबब बन गई है। हमेशा हाशिये पर रहने वाली जिंसों के मामले में सरकारी बाबुओं की रुचि वैसे भी नहीं रहती है। तभी तो सरकार का उनसे भरोसा उठने लगा है।
लाइलाज हो चुकी दाल व प्याज जैसी जिंसों की महंगाई रोकने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय मसौदा तैयार कर रहा है। इसके लिए पेशेवर एजेंसी की सेवाएं लेने पर विचार हो रहा है। सरकार के भीतर ऐसे पेशेवर लोगों के न होने से मुश्किलें पैदा हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक महंगाई पर गठित सचिवों की समिति में इस मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई। इसमें कुछ पेशेवर एजेंसियों के नाम भी सुझाए गए।
दालों की मांग व आपूर्ति में अंतर लगातार बढ़ रहा है। इसके लिए हर साल दलहन का आयात होना है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार व दुनिया के अन्य देशों में फसलों की स्थिति पर नजर रखने और जिंस कारोबार में विशेषज्ञता रखने वाली एजेंसी को संबंद्ध किया जाएगा। संबद्ध होने वाली एजेंसी ग्लोबल बाजार की खुफिया जानकारी के आधार घरेलू बाजार की मांग व आपूर्ति के अंतर की भी रिपोर्ट तैयार करेगी। उसी के आधार पर खरीद के अनुबंध किए जाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि इस आशय का मसौदा जल्दी ही कैबिनेट सचिव के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा। मसौदे को लेकर चर्चा में यह भी कहा गया कि दलहन की खरीद का दायित्व सीधे तौर पर भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) निभाए, ताकि बफर स्टॉक बनाया जा सके। दलहन का बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए आयात का भी सहारा लिया जा सकता है। म्यांमार में अरहर की फसल जनवरी में आने वाली है। दूरगामी रणनीति के तहत इस देश से अरहर का आयात किया जा सकता है। सचिवों की समिति प्रस्ताव के मसौदे को अगले सप्ताह कैबिनेट सचिव के पास मंजूरी के लिए भेज सकती है।