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गहने नहीं, गाड़ियां खरीदने का क्रेज है गांव और शहर के लोगों मेंः NSSO

सरकारी संस्था नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार गांव और शहर में ट्रांसपोर्ट के साधनों पर सबसे ज्यादा खर्च हो रहा है।

By Anand RajEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 01:09 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 06:45 AM (IST)
गहने नहीं, गाड़ियां खरीदने का क्रेज है गांव और शहर के लोगों मेंः NSSO

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। अक्सर यह कहा जाता है कि भारतीयों की पहली पसंद गहने और आभूषण हैं लेकिन अगर ड्यूरेबल्स पर होने वाले पारिवारिक व्यय पर नजर डालें तो तस्वीर बिल्कुल अलग नजर आती है।

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आजकल औसत भारतीय परिवारों में गहने या आभूषण खरीदने के बजाय गाडि़यां खरीदने का क्रेज है। महंगे आभूषण खरीदने के बजाय लोग ट्रांसपोर्ट के साधनों पर अधिक खर्च कर रहे हैं। इससे शहरों और गांवों की जीवन शैली में आ रहे बदलाव का पता चलता है।

सरकारी संस्था नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार गांव और शहर में एक परिवार के बजट में से जितनी धनराशि ड्यूरेबल्स (टिकाऊ) वस्तुओं पर खर्च की जाती है उसका लगभग 45 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट के साधन खरीदने पर हो रहा है।

ग्रामीण परिवारों का ट्रांसपोर्ट साधन पर ड्यूरेबल्स पर खर्च का 44.71 प्रतिशत खर्च होता है वहीं गहने और आभूषणांे पर 23 प्रतिशत राशि खर्च होती है। इस तरह ड्यूरेबल्स पर खर्च के मामलों में गहने दूसरे नंबर पर हैं। वहीं टेलीफोन और मोबाइल सहित आइटी और संचार के उपकरण खर्च के मामले में तीसरे नंबर पर आते हैं। ड्यूरेबल्स पर होने वाले कुल व्यय का करीब सात प्रतिशत इन पर होता है।

इसके बाद फर्नीचर, टीवी, फ्रिज तथा बिजली से चलने वाले अन्य घरेलू उपकरण आते हैं। 'सेवाओं एवं टिकाऊ वस्तुओं पर पारिवारिक व्यय के मुख्य संकेतक' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों मंे एक परिवार के ड्यूरेबल्स पर व्यय का 45.72 प्रतिशत हिस्सा ट्रांसपोर्ट साधनों पर होता है जबकि गहने और आभूषणों पर 18.04 प्रतिशत राशि खर्च की जाती है।

हालांकि मोबाइल और टेलीफोन सहित सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपकरणों पर ड्यूरेबल्स की 10 प्रतिशत राशि खर्च की जाती है। शहरी परिवार मनोरंजन के उपकरणों पर भी अच्छी खासी राशि खर्च करते हैं। वहीं टीवी, फ्रिज, एसी जैसे बिजली से चलने वाले घरेलू इस्तेमाल के उपकरणों पर भी बड़ी राशि खर्च की जाती है।

रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में ड्यूरेबल्स पर औसतन प्रति व्यक्ति मासिक व्यय 1,468.69 रुपये है जबकि शहरी क्षेत्र में 2,601.54 रुपये है।एनएसएसओ ने यह सर्वे जुलाई 2014 से जून 2015 के बीच किया। इसमें 81 प्रकार की ड्यूरेबल वस्तुओं और उनके पुर्जो के बारे में जानकारी जुटाई गई।

ट्रांसपोर्ट के साधनों में साइकिल, मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार, ट्रैक्टर, वैन और मिनी बस जैसे साधन शामिल हैं जिन पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों ने बड़ी धनराशि खर्च की है। वहीं गहने और आभूषणों की श्रेणी में सोना, चांदी और अन्य कीमती आभूषण शामिल हैं। इसी तरह जो संचार और सूचना प्रौद्योगिकी की श्रेणी में मोबाइल और टेलीफोन के अलावा कंप्यूटर और लैपटॉप भी शामिल हैं।

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