शेयर बाजार में हाहाकार के बाद बोले राजन, बैंकों को बड़े ऑपरेशन की जरूरत
डूबते कर्जों से निजात पाकर बैंकों को साफ बहीखाते के साथ बाहर आना होगा। बैलेंसशीट की सफाई के लिए इन बैंकों को बड़े ऑपरेशन की जरूरत होगी। इससे पहले बहीखातों में फंसे कर्जों यानी एनपीए को साफ-साफ दिखाना होगा।
नई दिल्ली। डूबते कर्जों से निजात पाकर बैंकों को साफ बहीखाते के साथ बाहर आना होगा। बैलेंसशीट की सफाई के लिए इन बैंकों को बड़े ऑपरेशन की जरूरत होगी। इससे पहले बहीखातों में फंसे कर्जों यानी एनपीए को साफ-साफ दिखाना होगा।
रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने यह खरी-खरी बात कही है। राजन सीआईआई की ओर से आयोजित एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। रिजर्व बैंक ने बैंकों को मार्च, 2017 तक साफ-सुथरे बहीखाते के साथ बाहर आने का आदेश दे रखा है। इसकी वजह से सरकारी बैंकों के तिमाही नतीजे बेहद खराब आए हैं।
नतीजतन शेयर बाजार में बैंकों के शेयर भरभरा गए। इस माहौल में राजन का बयान खास मायने रखता है। आरबीआई गवर्नर के मुताबिक बैलेंसशीट दुरुस्त होने पर बैंकों से भविष्य में कर्ज की रफ्तार बढ़ेगी। उन्होंने बैंकों को आश्वस्त किया आगे से उनकी संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा (एक्यूआर) नहीं की जाएगी।
हाल में बैंकों के बहीखाते को दुरुस्त करने के अभियान को केंद्रीय बैंक ने पूरा समर्थन किया है। बैंकों को उनके भारी-भरकम एनपीए के बोझ से निजात दिलाने और उसके वित्तीय प्रदर्शन में सुधार के लिए बहीखातों की एक्यूआर की गई। बहीखाते को दुरुस्त करने की पहल बेहद जरूरी है।
राजन ने कहा कि सरकारी बैंकों के खराब बहीखाते उन्हें पीछे की ओर धकेलते हैं। अर्थव्यवस्था की कर्ज संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों के सामने अब केवल एक ही रास्ता बचा है कि बहीखाते को दुरुस्त किया जाए। उन्होंने फंसे कर्ज से निपटने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा दी गई रियायत के दुरुपयोग के लिए कर्जदाताओं को भी लताड़ा।
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