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जीएसटी लागू होने पर जटिल होगी जीडीपी की गणना

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भले ही संसद के गतिरोध से अटक गया हो, लेकिन केंद्र सरकार के अलग-अलग विभाग इसके क्रियान्वयन के लिए जरूरी तैयारियां करने में जुटे हैं। वित्त मंत्रालय के अलावा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय भी प्रमुखता से इस काम को कर रहा है।

By Murari sharanEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2015 07:21 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 07:28 PM (IST)
जीएसटी लागू होने पर जटिल होगी जीडीपी की गणना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भले ही संसद के गतिरोध से अटक गया हो, लेकिन केंद्र सरकार के अलग-अलग विभाग इसके क्रियान्वयन के लिए जरूरी तैयारियां करने में जुटे हैं। वित्त मंत्रालय के अलावा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय भी प्रमुखता से इस काम को कर रहा है। इस मंत्रालय के अधिकारी जीएसटी के लागू होने पर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना में आने वाली जटिलता को समझने को अभी से जुट गए हैं।

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मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के मद्देनजर केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के अधिकारी अभी से वित्त मंत्रालय तथा राज्यों के विभिन्न विभागों के साथ मिलकर जीडीपी की गणना में आने वाली तमाम जटिलताओं को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। राजस्व विभाग ने जीएसटी नेटवर्क तैयार किया है, उस पर भी अधिकारियों को प्रशिक्षण दिए जाने का कार्यक्रम है।

इस अधिकारी के मुताबिक, जीएसटी उपभोग आधारित टैक्स होगा। इसलिए किसी राज्य के बाहर कितनी वस्तुएं गई हैं और उक्त सूबे में कितनी वस्तुओं का उपभोग हुआ है, इस बारे में आंकड़े जुटाने का अभी कोई तंत्र उपलब्ध नहीं है। इसलिए जीडीपी के आकलन में जटिलता आने के आसार हैं।

मोदी सरकार ने एक अप्रैल, 2016 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। एक अनुमान के मुताबिक जीएसटी के लागू होने पर सकल घरेलू उत्पाद में एक से दो प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाएगी। वित्त मंत्री ने जीएसटी को आजादी के बाद अब तक का सबसे बड़ा टैक्स सुधार करार दिया है।

वित्त मंत्रालय ने वस्तु व सेवा कर की तैयारियों की दिशा में कदम बढ़ाते हुए एक जीएसटी निदेशालय बनाया है। इसी तरह के निदेशालय राज्यों में भी बनाने का प्रस्ताव है।

सेवाओं को होगा सालाना सर्वे

सरकार उद्योगों के सालाना सर्वे की तरह सेवाओं का भी वार्षिक सर्वेक्षण करने की तैयारी कर रही है। सेवा क्षेत्र का योगदान राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में काफी बढ़ा है। इसलिए हर साल इस क्षेत्र के उद्यमों का सर्वेक्षण करना जरूरी है। इससे पता चल सकेगा कि इस क्षेत्र में प्रदर्शन की क्या स्थिति है।


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