लगेंगी चालीस अरब डॉलर की मेगा स्टील परियोजनाएं
मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की ओर अपने कदम तेजी से बढ़ा दिए हैं। देश में 40 अरब डॉलर की चार विशालकाय स्टील परियोजनाएं लगाई जानी हैं। इनकी खातिर सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के काम को रफ्तार पकड़ा दी है। यह काम सरकारी स्टील कंपनियों- सेल और
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की ओर अपने कदम तेजी से बढ़ा दिए हैं। देश में 40 अरब डॉलर की चार विशालकाय स्टील परियोजनाएं लगाई जानी हैं। इनकी खातिर सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के काम को रफ्तार पकड़ा दी है। यह काम सरकारी स्टील कंपनियों- सेल और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआइएनएल) को सौंपा गया है। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र की खनन कंपनी एनएमडीसी को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
ये चारों अल्ट्रा मेगा स्टील परियोजनाएं छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक और ओडिशा में लगाई जानी हैं। इनमें से हर मेगा स्टील प्लांट की उत्पादन क्षमता एक से सवा करोड़ टन के बीच होगी। पहले एनएमडीसी को प्लांटों के लिए भूमि अधिग्रहण समेत तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। अब इसमें सेल व आरआइएनएल को भी भागीदारी दे दी गई है। ये तीनों कंपनियां संबंधित राज्य सरकारों के औद्योगिक विकास निगमों के साथ संयुक्त रूप से स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) बनाएंगी। यह एसपीवी ही बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए जिम्मेदार होगी। विशेषज्ञों के अनुसार दस लाख टन स्टील के उत्पादन क्षमता के लिए एक अरब डॉलर के निवेश की जरूरत पड़ती है।
एसपीवी के जरिये बुनियादी ढांचा तैयार करने का विचार पहली बार पिछली संप्रग सरकार लेकर आई थी। मनमोहन सिंह की अगुआई वाली तत्कालीन सरकार ने यह फैसला ग्लोबल स्टील दिग्गजों- पोस्को और आर्सेलर-मित्तल के अपनी मेगा स्टील परियोजनाओं से कदम वापस खींचने के बाद किया था।