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भारत और चीन समेत 21 देशों ने बनाया नया बैंक

बीजिंग। भारत, चीन जैसे देशों ने अन्य एशियाई मुल्कों के साथ मिलकर पश्चिम के प्रभुत्व पर पलीता लगाना शुरू कर दिया है। यहां शुक्रवार को यह साक्षात दिखा। मौका था विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष [आइएमएफ] के बरक्स चीन की अगुआई में एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक [एआइआइबी] बनाने का। इस दिन चीन की राजधानी में एआइआइबी का संस्

By Edited By: Published: Fri, 24 Oct 2014 10:23 PM (IST)Updated: Fri, 24 Oct 2014 10:23 PM (IST)
भारत और चीन समेत 21 देशों ने बनाया नया बैंक

बीजिंग। भारत, चीन जैसे देशों ने अन्य एशियाई मुल्कों के साथ मिलकर पश्चिम के प्रभुत्व पर पलीता लगाना शुरू कर दिया है। यहां शुक्रवार को यह साक्षात दिखा। मौका था विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष [आइएमएफ] के बरक्स चीन की अगुआई में एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक [एआइआइबी] बनाने का। इस दिन चीन की राजधानी में एआइआइबी का संस्थापक सदस्य बनने के लिए करार पर दस्तखत किए गए। यह बैंक एशियाई क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग करेगा।

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इस बैंक का मुख्यालय चीन में होगा। यह अगले साल कामकाज शुरू कर देगा। इसके चालू होने के बाद एशियाई देशों की पश्चिम के प्रभुत्व वाले विश्व बैंक व मुद्राकोष पर निर्भरता कम हो सकेगी। इतना ही नहीं, एआइआइबी एशिया में विश्व बैंक को टक्कर देगा। चीन के उप वित्त मंत्री जिन लिकुन को इस बैंक का महासचिव नियुक्त किया गया है। जिन एशियाई विकास बैंक [एडीबी] के पूर्व उपाध्यक्ष भी हैं।

वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग की संयुक्त सचिव उषा टाइटस ने ग्रेट हॉल ऑफ पीपल में एक विशेष समारोह में भारत की ओर से सहमति पत्र [एमओयू] पर दस्तखत किए। एमओयू में इस बात का भी जिक्र है कि एआइआइबी की अधिकृत पूंजी 100 अरब डॉलर होगी। शुरू में 50 अरब डॉलर के शेयर के लिए आवेदन किए जा सकेंगे। उसके 20 प्रतिशत के बराबर भुगतान करना होगा। चीन और भारत के अलावा एआइआइबी के अन्य सदस्यों में मलेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देश शामिल हैं।

सदस्यों के मताधिकार की कसौटी तय करने के लिए विचार-विमर्श होगा। इस कसौटी में सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] और क्रयशक्ति समानता [पीपीपी] दोनों को ही आधार बनाया जाएगा। इस फॉर्मूले के आधार पर चीन के बाद भारत बैंक का दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक होगा। एआइआइबी में भागीदारी के फैसले पर टाइटस ने कहा कि भारत का विचार है कि नया बैंक बुनियादी ढांचे ते वित्तपोषण के लिए संसाधन के रूप में जबरदस्त पूंजी आधार मुहैया कराएगा। यह क्षेत्रीय विकास के लिए अच्छी बात है। यह एडीबी और आइएमएफ जैसे वित्तीय संस्थानों के साथ बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में रह जाने वाली कमी को दूर करेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुआ ने बीते दिन इस नए बैंक में भारत की भागीदारी का स्वागत किया। भारत और चीन की यह कोशिश रही है कि पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाले विश्व बैंक और आइएमएफ पर फंड को लेकर एशियाई देशों की निर्भरता कम हो।

एआइआइबी के 21 सदस्य

भारत, चीन, वियतनाम, उज्बेकिस्तान, थाइलैंड, श्रीलंका, सिंगापुर, कतर, ओमान, फिलीपीन्स, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, ब्रुनेई, कम्बोडिया, कजाखिस्तान, कुवैत, लाओस, मलेशिया, मंगोलिया और म्यांमार

ब्रिक्स बैंक से अलग होगा यह बैंक

एआइआइबी ब्रिक्स विकास बैंक से अलग होगा। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसी दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। इसकी शुरुआत अगले दो साल में होगी। इस बैंक का पहला अध्यक्ष कोई भारतीय बनेगा।

इंडिया इंक ने किया स्वागत

भारतीय उद्योग जगत ने एआइआइबी के गठन का स्वागत करते हुए कहा कि भारत जैसे देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए खरबों डॉलर की जरूरत है। यह बैंक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए धन की तंगी को दूर करेगा।

तीन प्रमुख देश रहे दूर

एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के गठन को लेकर हुए इस समारोह से दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया ने दूरी बनाए रखी। अमेरिका के सहयोगी माने जाने वाले कई अन्य देश भी इसका हिस्सा नहीं बने। इनमें कुछ अरब मुल्क भी शामिल हैं। जापान भी इससे बाहर रहा। खासबात यह है कि एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी में जापान का दबदबा है।

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