इसने एप्पल के मालिक को ही नौकरी से कर दिया था बाहर, आ गया है भारत
मोबाइल या कहें स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों ने भारत को सबसे बड़े बाजार के रूप में मान लिया है। इसीलिए तो अब एप्पल के पूर्व सीईओ जॉन स्कली अब अपनी ही कंपनी को टक्कर देने के लिए भारत आ गए हैं। जॉन स्कली ने भारत में एक लो रेंज मोबाइल ब्रांड ओबीआई लॉन्च किया है। वह अगले महीने इस ब्रांड का पहला स्मार्टफोन
नई दिल्ली। मोबाइल या कहें स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों ने भारत को सबसे बड़े बाजार के रूप में मान लिया है। इसीलिए तो अब एप्पल के पूर्व सीईओ जॉन स्कली अब अपनी ही कंपनी को टक्कर देने के लिए भारत आ गए हैं।
जॉन स्कली ने भारत में एक लो रेंज मोबाइल ब्रांड ओबीआइ लॉन्च किया है। वह अगले महीने इस ब्रांड का पहला स्मार्टफोन भारत में लॉन्च करेंगे। जॉन स्कली का कहना है कि उनका मॉडल दूसरी मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों से अलग होगा। नोकिया, ब्लैकबेरी में हद से ज्यादा कर्मचारी हैं और उनकी कम से कम खर्च में कंपनी चलाने की कोशिश होगी।
जॉन द्वारा लॉन्च किए गए इस स्मार्टफोन ब्रांड में 6000 से 8000 रुपए तक के फोन बेचे जाएंगे। कुछ दिनों पहले जॉन ने अपने बयान में भी कहा था कि इस ब्रांड के तहत बनने वाले स्मार्टफोन 10,000 रुपए से कम कीमत में बेचे जाएंगे। स्कली इस प्रोजेक्ट पर करीब 2 करोड़ डॉलर का निवेश सिंगापुर स्थित कंपनी इनफिक्शपाइंट के जरिये करेंगे। उनका इरादा इस ब्रांड को दो साल के भीतर 1 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। स्कली को उम्मीद है कि पहला फोन लॉन्च करने के बाद 5 महीने के अंदर करीब एक मिलियन (10 लाख) हैंडसेट्स बेचे जा सकते हैं।
जॉन द्वारा बनाया जा रहा ये ब्रांड एप्पल, सैमसंग जैसी दिग्गज कंपनियों को टक्कर देगा। इसी के साथ, भारत के लोकल ब्रांड्स, जैसे माइक्रोमैक्स और कार्बन के लिए भी ये ब्रांड बड़ी चुनौती बन सकता है। ओबीआई मोबाइल के सीईओ के तौर पर अजय शर्मा अपना कार्यभार संभालेंगे। अजय पहले माइक्रोमैक्स और एचटीसी के साथ बतौर डिविजन हेड काम कर चुके हैं।
स्टीव को ही एप्पल से कर दिया था बाहर
आपको एक हैरान करने वाली जानकारी देते हैं। जॉन स्कली वो इंसान हैं जिनकी वजह से स्टीव जॉब्स को एप्पल से निकाला गया। जॉन स्कली को पेप्सिको छोड़कर एप्पल आने के लिए स्टीव जॉब्स ने ही मनाया था। 1982 में दिए गए ऑफर के बाद स्कली 1983 में एप्पल से जुड़ गए। जनवरी 1983 में 'लीसा' के लॉन्च के बाद स्कली ने एप्पल कंपनी ज्वाइन की थी। कुछ समय बाद ही स्कली एप्पल के सीईओ के रूप में आ गए और यही समय था, जब जॉब्स को एप्पल से निकाला गया था।
दरअसल, लीसा कंप्यूटर एप्पल के इतिहास में सबसे बुरी तरह से फ्लॉप होने वाला कंप्यूटर साबित हुआ था। 1985 तक जॉब्स और स्कली की पार्टनरशिप सही चली थी, लेकिन इसके बाद जॉब्स के काम करने के तरीके को लेकर एप्पल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने स्कली को उन्हें रोकने के निर्देश दिए। स्टीव जॉब्स को कंपनी से अलग करने के पीछे सबसे बड़ा कारण बने उनके द्वारा लॉन्च किए जा रहे महंगे गैजेट्स जो कंपनी के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि जॉब्स के कार्यकाल में एप्पल कंपनी ने सबसे ज्यादा फ्लॉप गैजेट्स लॉन्च किए थे। उनके इस काम को देखते हुए बोर्ड ने 10 अप्रैल, 1985 को जॉब्स को कार्यभार से मुक्त करने का फैसला किया। स्कली ने बोर्ड के सामने जॉब्स को हटाकर खुद उन्हें सीईओ बनाने का प्रस्ताव रखा जिसे बोर्ड ने स्वीकार कर लिया।
स्कली को एप्पल लाना था सबसे बड़ी गलती
एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स को उन्हीं की कंपनी से निकाल दिया गया था। जॉब्स ने एक टीवी डॉक्युमेंट्री के लिए दिए गए अपने एक बयान में अपनी नाराजगी जताते हुए कहा था कि स्कली को एप्पल से जोड़ना उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई। उन्होंने एक गलत इंसान को कंपनी से जोड़ दिया।
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