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यादव सिंह के करीबियों पर गाज गिरनी तय

उद्यान विभाग घोटाले में यादव सिंह के करीबियों पर गाज गिरनी तय हो गई है। घोटाले की फाइल को अब दोबारा से अधिकारियों ने पलटना शुरू कर दिया है। ऐसे में गबन में दोषी लेखा विभाग के अधिकारियों पर प्राधिकरण कार्रवाई करेगा। साथ ही 90 लाख गबन की वसूली लेखा

By manoj yadavEdited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 11:43 PM (IST)
यादव सिंह के करीबियों पर गाज गिरनी तय

नोएडा [कुंदन तिवारी]। उद्यान विभाग घोटाले में यादव सिंह के करीबियों पर गाज गिरनी तय हो गई है। घोटाले की फाइल को अब दोबारा से अधिकारियों ने पलटना शुरू कर दिया है। ऐसे में गबन में दोषी लेखा विभाग के अधिकारियों पर प्राधिकरण कार्रवाई करेगा। साथ ही 90 लाख गबन की वसूली लेखा विभाग के अधिकारियों से हो सकती है। उद्यान विभाग के 90 लाख के गबन के प्रकरण में नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी है प्रश्नचिह्न है।

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केंद्रीय लेखा विभाग मे कार्यरत कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा उद्यान विभाग के कार्यों के नाम पर पांच अक्टूबर, 2007 से 18 जून, 2008 तक फर्जी बाउचर बना कर एक के बाद एक 13 चेकों के माध्यम से पीसी कंट्रेक्टर, मेसर्स जीत कांट्रेक्टर व आरएस एसोसिएट को 90 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया, जबकि दस लाख से अधिक की धन राशि का भुगतान बाउचर एवं चेक प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक एवं मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी द्वारा किया जाता है। ऐसे में खुलेआम गबन का खेल उक्त अधिकारियों की नाक के नीचे चलता रहा, लेकिन वह सोते रहे, जबकि प्राधिकरण के तात्कालिक उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी की रिपोर्ट के द्वारा प्रथम दृष्टया वरिष्ठ वित्त एवं लेखा अधिकारी डीवी मेहता, लेखाधिकारी लालपत राय, वरिष्ठ लेखाकार एके गर्ग एवं सहायक लेखाकार विरेंद्र वर्मा को दोषी माना गया।

विभागीय जांच की संस्तुति की गई, लेकिन इस प्रकरण में बसपा शासन काल के प्रभावी व्यक्तियों के दबाव में प्राधिकरण अधिकारियों ने सात वषरें के बाद भी गबन करने वाले इन व्यक्तियों के विरुद्ध विभागीय जांच तक नहीं कराई।

मामला निरंतर यह कह कर टाला जाता रहा कि प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की जा रही है। इसमें यह स्पष्ट है कि दोषी व्यक्तियों के खिलाफ जांच जानबूझ कर नहीं कराई जा रही है।

पिछले दिनों जब इस मामले पर दोबारा से हो-हल्ला शुरू हुआ और जांच में जिस निर्दोष व्यक्ति को फंसाया गया था, उसे जब प्रारंभिक तौर पर क्लीन चिट मिली तो हड़कंप मच गया। इसके बाद से दोबारा इस गबन की फाइल को पलटने का काम शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि इस मामले पर जिन चार लोगों पर कार्रवाई की जानी है। उनमें से दो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में दो पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है, ताकि इस मामले को और अधिक बढ़ने से रोका जा सके।

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