डायन कहकर देश में मार दी गईं 160 महिलाएं
देश भर में जादू, टोना और डायन के नाम पर पिछले साल 160 महिलाओं की हत्या कर दी गई। महिलाओं पर अत्याचार के इन आंकड़ों में 55 हत्या के साथ झारखंड सबसे आगे और उड़ीसा दूसरे नंबर पर है। इस साल भी मार्च तक
नई दिल्ली, [माला दीक्षित]। देश भर में जादू, टोना और डायन के नाम पर पिछले साल 160 महिलाओं की हत्या कर दी गई। महिलाओं पर अत्याचार के इन आंकड़ों में 55 हत्या के साथ झारखंड सबसे आगे और उड़ीसा दूसरे नंबर पर है। इस साल भी मार्च तक 8 हत्याएं हो चुकी हैं। ये आंकड़े तो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संसद में पेश किए हैं, लेकिन इसे रोकने के लिए मंत्रालय के पास कोई योजना नहीं है। मंत्रालय ने कानून व्यवस्था राज्य का मसला होने की दलील देते हुए इससे पल्ला झाड़ लिया है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जादू टोना और डायन के नाम पर देश भर में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के बारे में शुक्रवार को संसद में उपरोक्त ब्योरा पेश किया। मंत्रालय की ओर से बताया कि डायन के नाम पर महिलाओं के साथ होने वाले क्रूर व्यवहार और अत्याचार की जानकारी उसे है। मंत्रालय ने पिछले तीन सालों में मारी गई महिलाओं के आंकड़े भी पेश किए, लेकिन इसे रोकने और इसके खिलाफ जागरुकता लाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? इसके जवाब में मंत्रालय का कहना है कि संविधान के मुताबिक पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य का मसला है। इसलिए अन्य अपराधों की तरह ही डायन के नाम पर होने वाले अत्याचार को रोकना भी राज्य सरकार का काम है।
इस मामले में केस दर्ज करना, जांच करना और मुकदमा चलाने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की है। वैसे राष्ट्रीय महिला आयोग इस बारे में जागरुकता लाने के लिए समय-समय पर कार्यशालाएं और गोष्ठियां आयोजित करता रहता है। मंत्रालय की ओर से यह भी बताया गया कि डायन के नाम पर प्रताड़ना और हत्या की जो भी घटनाएं होती हैं, वे पहले से ही भारतीय दंड संहिता में दंडनीय अपराध हैं, लेकिन मंत्रालय ने यह कहीं नहीं बताया कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए या इनके खिलाफ समाज में जागरुकता लाने के लिए उसकी अपनी कोई योजना या नीति है या नहीं।
मंत्रालय ने नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के जो आंकड़े दिए है, उनके मुताबिक पिछले तीन वर्षो में देश भर में डायन के नाम पर कुल 519 महिलाओं की हत्या हो चुकी है। जबकि 6 गैर इरादतन हत्या के मामले दर्ज हुए हैं। 2011 में 240, 2012 में 119 और 2013 में 160 महिलाएं मारी गईं। पिछले साल का आंकड़ा देखें तो झारखंड पहले नंबर पर है जहां 54 हत्याएं हुईं और एक गैर इरादतन हत्या। दूसरे नंबर पर उड़ीसा है जहां 24 हत्याएं हुईं। तीसरे नंबर पर तमिलनाडु और चौथे पर आंध्र प्रदेश है। हालांकि यह अपराध 10-12 राज्यों में ही ज्यादा हो रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में तीन साल में ऐसी कोई घटना दर्ज नहीं हुई है।