जानिए क्यों दिल्ली में टीबी उन्मूलन अब भी बना हुआ है चुनौती
दिल्ली में टीबी के उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियानों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां टीबी की बीमारी से पीड़ित मरीजों में 14 फीसद बच्चे हैं।
सरकार द्वारा टीबी नियंत्रण के लिए दशकों से अभियान चलाए जाने के बावजूद इस बीमारी का उन्मूलन अब भी चुनौती बना हुआ है। स्थिति यह है कि टीबी की रोकथाम के लिए टीकाकरण होने के बावजूद दिल्ली में बच्चे टीबी से अधिक संक्रमित हो रहे हैं। यह जानकार हैरानी होगी कि दिल्ली में टीबी की बीमारी से पीड़ित होने वाले बच्चों की संख्या राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। ऐसे में दिल्ली में टीबी के उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियानों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि दिल्ली में भीड़ व झुग्गी बस्तियों में अधिक गंदगी बच्चों में टीबी के संक्रमण के कारण हैं। दिल्ली में टीबी से पीड़ित करीब 57,700 मरीज हैं, जिन्हें सरकार मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा रही है। वर्ष 2015 में दिल्ली में टीबी के 14,197 नए मामले सामने आए थे। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां टीबी की बीमारी से पीड़ित मरीजों में 14 फीसद बच्चे हैं। जबकि देश में टीबी के जितने मरीज हैं उसमें से सिर्फ छह फीसद बच्चे हैं।
एम्स के पलमोनरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भीड़ वाले इलाकों में टीबी का संक्रमण अधिक फैलता है। यहां झुग्गी बस्तियों में एक-एक कमरे में चार से पांच लोग रहते हैं। ऐसी स्थिति में यदि किसी एक को टीबी हो तो संक्रमण होने का खतरा अधिक रहता है। हालांकि दिल्ली में देश के दूसरे राज्यों की तुलना में जांच व इलाज की सुविधाएं अच्छी है। डॉट्स सेंटर भी अधिक हैं। इसलिए हो सकता है कि दूसरे राज्यों में टीबी से पीड़ित सभी बच्चों की पहचान नहीं हो पाती।
साल के अंत तक प्रतिदिन चलेगी टीबी की दवा: टीबी के उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार ने रणनीति बदल दी है। अब देश भर में टीबी पीड़ित मरीजों को प्रति दिन दवा खिलाई जाएगी। दिल्ली में भी साल के अंत तक प्रतिदिन दवा खिलाई जाएगी।
टीबी को जड़ से खत्म करने की ली शपथ
टीबी की बीमारी को भारत से वर्ष 2025 तक जड़ से खत्म करने के लिए विश्व टीबी दिवस की पूर्व संध्या पर इंडिया गेट पर लोगों ने शपथ ली। साथ ही पिछले साल टीबी की बीमारी से मरने वाले लगभग पांच लाख लोगों को मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दी गई। इस अभियान से जुड़े बलेसिना कुमार के मुताबिक टीबी की बीमारी से पीड़ित मरीज को समाज में सबसे ज्यादा मानसिक आघात झेलना पड़ता है। आज विश्व में सबसे ज्यादा (27 प्रतिशत) टीबी के मरीजों की संख्या भारत में है। पिछले साल इस बीमारी से पीड़ित 28 लाख नए मरीजों की पहचान हुई थी।
-जेएनएन