आजमगढ़ में सरयू नदी के जलस्तर के उतार-चढ़ाव के बीच दुश्वारियों ने किसानों को संकट में डाला

सरयू नदी के जलस्तर में उतार चढ़ाव अनवरत जारी है लेकिन देवारा वासियों की दुश्वारियां जस की तस पड़ी हुई है। कटान की समस्या उनके सामने मुंह बाए खड़ी हैं। आवागमन की दिक्कत होने के साथ ही फसलों की खेतों में सड़न भी शुरू हो गई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 05:42 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 05:42 PM (IST)
आजमगढ़ में सरयू नदी के जलस्तर के उतार-चढ़ाव के बीच दुश्वारियों ने किसानों को संकट में डाला
सरयू के जलस्तर में उतार चढ़ाव अनवरत जारी है, लेकिन देवारा वासियों की दुश्वारियां जस की तस पड़ी हुई है।

आजमगढ़, जेएनएन। सरयू नदी के जलस्तर में उतार चढ़ाव अनवरत जारी है, लेकिन देवारा वासियों की दुश्वारियां जस की तस पड़ी हुई है। कटान की समस्या उनके सामने मुंह बाए खड़ी हैं। आवागमन की दिक्कत होने के साथ ही फसलों की खेतों में सड़न भी शुरू हो गई है। लहलहाती फसलों के धारा में विलीन होने का दर्द और मकानों के कटने की पीड़ा उनका साथ छोड़ने का नाम नहीं ले रही है। रविवार से उतर रहा नदी का जलस्तर बुधवार को दोबारा चढ़ने लगा जिसकी वजह से तटवर्ती इलाकों में दुश्‍वारी जस की तस के साथ और चिंता बढ़ने लगी है।

मंगलवार डिघिया नाले का गेज 70.69 मीटर था। बदरहुआ नाले पर मंगलवार को नदी 71.31 मीटर थी। मंगलवार को रात में घटकर जलस्तर बुधवार को सुबह 8:00 बजे 71.26 पर पहुंच गया। सुबह 8:00 बजे से जल स्तर में वृद्धि हुई और यह 4:00 बजे शाम तक 71.28 मीटर पर पहुंच गया है। जलस्तर के बढ़ने से लोगों की दुश्वारियां भी बढ़ने लगती है। महुला गढ़वल बांध के उत्तरी हिस्से में स्थित साधु का पुरवा, झगरहवा और बगरहा में कटान जारी है।बगरहवा गांव में पांच घर कट कर नदी में समाहित हो चुके हैं। साधु का पूरा के 50 घर, झगरहवा के 40 घर और इतने ही परिवार बगरहवा के भी नदी के मुहाने पर पहुंच गए हैं। जिससे इन लोगों के दिन का चैन और रात की नींद उड़ गई है।

पानी का जलस्तर घटने - बढ़ने के साथ गागेपुर परसिया में कृषि योग्य भूमि लगातार कटकर नदी में विलीन हो रही है। गागेपुर, परसिया बांध का अस्तित्व ही खतरे में आता जा रहा है। जिस को बचाने के लिए बोरियों में मिट्टी और बालू भरकर डाला जा रहा है। लेकिन इससे रिंग बांध का अस्तित्व बचाया जा सकेगा ऐसा दिखता नहीं है।

अपनी खड़ी फसल नष्ट होते देख रहा किसान परेशान हैं। जलस्तर के बढ़ने का भय उन्हें लगातार सता रहा है।

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