आइआइटी कानपुर के स्टार्टअप रोकेंगे साइबर अपराधियों की चाल, ड्रोन हमले और हैकिंग पर लगाएंगे अंकुश

आइआइटी के साइबर सिक्योरिटी एंड साइबर सिक्योरिटी आफ साइबर फिजिकल सिस्टम (सीथ्रीआइ) की ओर से 13 स्टार्टअप और 25 रिसर्च एंड डेवलपमेंट कार्यक्रम लांच किए गए हैं। संस्थान के विशेषज्ञों की देखरेख में सुरक्षा चक्र तैयार हो रहा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 10:01 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 10:01 AM (IST)
आइआइटी कानपुर के स्टार्टअप रोकेंगे साइबर अपराधियों की चाल, ड्रोन हमले और हैकिंग पर लगाएंगे अंकुश
आइआइटी विशेषज्ञ बना रहे मजबूत सुरक्षा चक्र।

कानपुर, जेएनएन। देश में बढ़ते साइबर हमलों को रोकने के लिए सुरक्षा चक्र मजबूत किया जा रहा है। आइआइटी के विशेषज्ञ स्टार्टअप और शोध के दम पर अपराधियों की चाल को बेकार करने की तैयारी में हैं। इसकी शुरुआत हो गई है। इसमें ड्रोन से हमले, कंप्यूटर में सेंधमारी, दस्तावेजों से छेड़छाड़, सरकारी और निजी संस्थानों की वेबसाइट हैकिंग आदि को रोकने पर काम किया जाएगा।

संस्थान के साइबर सिक्योरिटी एंड साइबर सिक्योरिटी आफ साइबर फिजिकल सिस्टम (सीथ्रीआइ) की ओर से 13 स्टार्टअप और 25 रिसर्च एंड डेवलपमेंट कार्यक्रम को शुक्रवार को लांच किया गया। इनका चयन कठिन प्रक्रिया के बाद हुआ। सीथ्रीआइ के परियोजना निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि कार्यक्रम के माध्यम से तकनीक को विकसित किया जाएगा। संस्थान के विशेषज्ञ की देखरेख में साइबर हमलों को रोकने का मजबूत सुरक्षाचक्र तैयार होगा। सह परियोजना निदेशक प्रो. संदीप शुक्ला ने बताया कि हैकर ईमेल, फेसबुक और अन्य इंटरनेट मीडिया के अकाउंट को हैक करके तरह-तरह के अपराध कर रहे हैं। आधार नंबर, पैनकार्ड नंबर और क्रेडिट कार्ड के नंबर पूछकर रुपये उड़ाने का खेल पहले से चल रहा है, लेकिन अब किसी भी संस्थान के कंप्यूटर सिस्टम और मानीटरिंग सिस्टम को हैक करने के मामले सामने आ रहे हैं।

शातिर अपराधी ड्रोन के कंट्रोल से सिस्टम को नियंत्रण में कर सकते हैं। सिस्टम पर कई तरह के खतरनाक वायरस भेजे जाते हैं। सीईओ डा. निखिल अग्रवाल ने बताया कि रिसर्च एंड डेवलपमेंट का कार्यक्रम कई अन्य संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ चलाया जाएगा। डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी के सचिव डा. आशुतोष शर्मा, साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड के सचिव प्रो. संदीप वर्मा, डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो. एआर हरिश समेत अन्य विशेषज्ञ शामिल रहे।

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