कानपुर नगर निगम में फर्जी दस्तावेज से ताउम्र की नौकरी, रिटायरमेंट से पहले हुआ राजफाश

कानपुर नगर निगम में फर्जी प्रपत्रों के आधार पर फार्मासिस्ट की नौकरी पा ली थी उसके खिलाफ कई शिकायतें आईं तो उसे रद्​दी में डलवाता रहा। अब रिटायरमेंट के समय राजफाश हुआ है तो विभाग में अफरा तफरी मची है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 08:46 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 05:18 PM (IST)
कानपुर नगर निगम में फर्जी दस्तावेज से ताउम्र की नौकरी, रिटायरमेंट से पहले हुआ राजफाश
कानपुर नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने पुलिस आयुक्त को पत्र भेजा है।

कानपुर, जेएनएन। नगर निगम में तैनात रहा एक फार्मासिस्ट फर्जी दस्तावेजों से ताउम्र नौकरी करता रहा और अपने खिलाफ आई शिकायतें रद्दी की टोकरी में डलवाता रहा। वर्ष 2015 में जब वह सेवानिवृत्त होने वाला था, उससे पूर्व अधिकारियों ने विभागीय जांच शुरू कराई तो फर्जीवाड़े का राजफाश हुआ। अब छह वर्ष बाद आरोपित के खिलाफ बेकनगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।

नगर स्वास्थ्य अधिकारी अमित सिंह गौर के मुताबिक बेकनगंज निवासी मो. वसीक ने वर्ष 1977 में नगर निगम में फार्मासिस्ट (यूनानी) के पद पर नौकरी पाई थी। वर्ष 2015 में वह सेवानिवृत्त होने वाले थे। इससे पूर्व वसीक पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने यूनानी कंपाउंडर कोर्स का जो प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी हासिल की थी, वह फर्जी है। तत्कालीन अधिकारियों ने जांच शुरू कराई। मो. वसीक के रिटायरमेंट से एक माह पूर्व पता लगा कि वसीक ने फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी पाई थी। इसके बाद वसीक का आखिरी माह का वेतन, पेंशन, पीएफ आदि पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन मुकदमा नहीं लिखाया गया। वर्ष 2019 में एक तहरीर पुलिस को भेजी गई, लेकिन तब भी रिपोर्ट नहीं हुई।

नगर स्वास्थ्य अधिकारी अमित सिंह गौर ने बताया कि पिछले दिनों विभाग में दबी फाइल को निकलवाया और स्वरूप नगर में मुकदमा लिखाने के लिए पुलिस आयुक्त को पत्र भेजा। रिपोर्ट दर्ज न होने पर 16 जुलाई को रिमाइंडर भेजा, तब बेकनगंज में रिपोर्ट लिखी गई। थाना प्रभारी नवाब अहमद ने बताया कि वसीक के खिलाफ धोखाधड़ी व जालसाजी का मुकदमा लिखा गया है। विवेचना के बाद कार्रवाई होगी।

यूनानी कंपाउंडर के कोर्स के आधार पर कराया रजिस्ट्रेशन

अधिकारी ने बताया कि वसीक ने यूनानी कंपाउंडर का कोर्स करने का प्रमाणपत्र लगाकर आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया था। जब जानकारी ली गई तो पता लगा कि जिस वर्ष में उन्होंने कोर्स करने की जानकारी दी, उस वर्ष में यह कोर्स ही नहीं होता था। यही नहीं, जिस संस्था से प्रमाणपत्र मिलने की जानकारी दी गई, उस वक्त वह संस्था भी नहीं खुली थी। सूत्रों के मुताबिक आरोपित का विभाग में दबदबा था। पूर्व में शिकायतें आई थीं, लेकिन हर शिकायत वह खारिज करा देता था। अधिकारी ने कहा कि आरोपित काफी वृद्ध है और कुछ साल और बीत जाते तो आरोपित से रिकवरी करा पाना भी मुश्किल हो जाता।

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