Mukhyamantri Bal Seva Yojana : बाल गृह जाने की बजाय मासूमों ने दादा, दादी व भाई के साथ रहना किया पसंद

कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को प्रशासन ने बाल व किशोर गृह में रहने का प्रस्ताव दिया था लेकिन जिले के किसी भी बच्चे ने इसे स्वीकार नहीं किया। सभी ने मां-बाप के जाने के बाद अपने दादादादी के साथ ही रहने की ही इच्छा जाहिर की है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 07:29 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 07:29 AM (IST)
Mukhyamantri Bal Seva Yojana : बाल गृह जाने की बजाय मासूमों ने दादा, दादी व भाई के साथ रहना किया पसंद
मां-बाप के जाने के बाद अपने दादा,दादी व भाई-बहन के साथ ही रहने की ही इच्छा जाहिर की है।

अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को प्रशासन ने बाल व किशोर गृह में रहने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन जिले के किसी भी बच्चे ने इसे स्वीकार नहीं किया। सभी ने मां-बाप के जाने के बाद अपने दादा,दादी व भाई-बहन के साथ ही रहने की ही इच्छा जाहिर की है। अफसरों ने काउंसलिंग कर इन बच्चों से सवाल जवाब भी किए, लेकिन सभी स्वजनों के पास रहने पर ही अंतिम सहमति जताई। अब इन बच्चों के स्वजनों के खाते में भी चार हजार की धनराशि भेजी जा रही है। हालांकि, प्रशासनिक अफसर इन सभी बच्चों पर नजर बनाए रखते हैं। कई बार घर का दौरा भी किया जाता है।

कोरोना से बच्‍चों पर पहाड़ टूटा

कोरोना से बच्चों पर सबसे बड़ा दुखों का पहाड़ टूटा है। किसी के पिता की मौत हो गई तो किसी की मां की। कई बच्चों के तो माता-पिता दोनों ही असमय काल के गाल में समा गए। जिले में भी अब 76 बच्चे इसी तरह के चिन्हित हो चुके हैं। इनमें 71 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता में से किसी एक की मौत हुई है। ऐसे में अब यह अपने मां-बाप में से किसी एक ही सहारे ही जीवन जीने को मजबूर हैं। वहीं, पांच बच्चे ऐसे भी हैं, जिनके माता-पिता दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं रहे। इन बच्चों के सामने सबसे बड़ी मुसीबत है। ऐसे में सरकार ने इनकी देखभाल के लिए मुख्मंत्री बाल सेवा योजना की शुरुआत की है। इसके तहत इन मासूमों को राजकीय बाल एवं किशोर गृह में रखकर देखभाल की तैयारी चल रही है। इसके लिए मासूमों की सहमति लेना अनिवार्य था। ऐसे में पिछले दिनों सभी मासूमों को कलक्ट्रेट में बुलाया गया। यहां इन्हें बाल गृह एवं किशोर गृह के बारे में बताया गया, लेकिन कोई भी मासूम इनमें जाने को तैयार नहीं हैं। सभी ने अपने स्वजनों के साथ ही रहने पर सहमति दी।

जिले में हैं महज एक अनाथालय

जिले में महज एक ही अनाथालय है। यह निजी ट्रस्ट द्वारा तालानगरी में संचालित हैं। इसकी क्षमता सौ बच्चों की है। फिलहाल यहां 38 बच्चे रह रहे हैं। अफसर हर महीने यहां की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करते हैं। पिछले दिनों राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डा. साक्षी बैजल ने भी निरीक्षण के बाद यहां की व्यवस्थाओं की तारीफ की थी।

बाल सेवा योजना में इस तरह मिल रही है मदद

-बच्चे के व्यस्क होने तक देखभाल करने वाले को चार हजार प्रतिमाह

-जिन बच्चें के अभिभावक नहीं, उन्हें सहमति के आधार पर बाल गृह में रखा जाएगा

-अव्यस्क बालिकाओं की देखभाल के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में सुविधा होगी

-प्रदेश सरकार द्वारा संचालित राजकीय बाल गृह भी बालिकाओं के लिए संचालित होंगे

-अटल आवासय विद्यालयों में भी रखकर इन बालक बच्चों की जाएगी देखभाल

-बालिकाओं के विवाह के लिए एक लाख एक हजार रुपये की राशि देगी सरकार

-स्कूल कालेज में पढ़ रहे सभी बच्चों को मिलेंगे लैटलेट व लैपटाप

इनका कहना है 

कोरोना के चलते माता-पिता की मौत हो जाने से जिले के पांच बच्चे अनाथ हो गए हैं। विभाग की तरफ से इन्हें बाल गृह व किशोर गृह में रहने का सुझाव दिया गया था, लेकिन सभी बच्चों ने अपने दादा, अम्मा व भाई के साथ रहने पर सहमति जताई है। हालांकि, प्रशासन सभी की निरंतर निगरानी कर रहा है।

स्मिता सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी

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