Jagannath Rathyatra: माता लक्ष्मी का अहंकार भंग कर भाई बहन के साथ रत्न सिंहासन पर विराजमान हुए महाप्रभु जगन्नाथ
भाई बहन के साथ श्रीगुंडिचा यात्रा कर वापस लौटे महाप्रभु जगन्नाथ जी आज नीलाद्री बिजे से पहले लक्ष्मी माता के अहंकार को भंग कर रत्न सिंहासन पर विराजमान हो गए है। महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथयात्रा का आज अंतिम दिवस रहा।
जागरण संवाददाता, पुरी! भाई बहन के साथ श्रीगुंडिचा यात्रा कर वापस लौटे महाप्रभु जगन्नाथ जी आज नीलाद्री बिजे से पहले लक्ष्मी माता के अहंकार को भंग कर रत्न सिंहासन पर विराजमान हो गए है। महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथयात्रा का आज अंतिम दिवस रहा। अपराह्न तीन बजे से चतुर्धा विग्रहों की तीनों रथों से पहंडी बिजे शुरू हुई। पहंडी बिजे के दौरान ही माता लक्ष्मी ने आकर कपाट को बंद कर दिया।
ऐसे में महाप्रभु जगन्नाथ जी एवं माता लक्ष्मी के कुछ समय के लिए तर्क वितर्क हुआ। इस तर्क वितर्क में प्रभु जगन्नाथ जी ने माता लक्ष्मी के अहंकार को भंग किया और फिर माता लक्ष्मी जी को रसगुल्ला खिलाये। इसके बाद वे भाई बहन के साथ रत्न सिंहासन पर विराजमान हुए। जानकारी के मुताबिक मदन मोहन, रामकृष्ण, सुदर्शन, ब़ड़े भाई बलभद्र, देवी सुभद्रा की पहंडी बिजे सम्पन्न होने के बाद अंत में कालिया ठाकुर की पहंडी बिजे कर रत्न सिंहासन पर विराजमान किया गया है।
जगन्नाथ मंदिर प्रशासन से मिली सूचना के मुताबिक सुबह 5 बजकर 20 मिनट पर मंगल आरती, इसके बाद अवकाश, सूर्यपूजा, द्वारपाल पूजा, गोपाल बल्लभ, सकाल धूप, मध्याह्न भोग, संध्या आरती तथा संध्या नीति सम्पन्न की गई। इसके बाद भगवान की पहण्डी शुरू हुई। सबसे पहले मदन मोहन रामकृष्ण, चक्रराज सुदर्शन इसके बाद प्रभु बलभद्र फिर देवि सुभद्रा की पहंडी बिजे कर रत्न सिंहासन पर विराजमान किया गया।
सबसे अंत रत्न सिंहासान के लिए प्रभु जगन्नाथ जी की पहण्डी बिजे शुरू हुई। हालांकि जैसे ही महाप्रभु की पहंडी बिजे शुरू हुई माता लक्ष्मी चाहड़ी मंडप में पहुंचकर प्रभु का दर्शन की। इसके प्रभु की पहंडी जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार के पास पहुंची, तभी माता लक्ष्मी के दासियों ने सिंहद्वार को बंद कर दिया। इसके बाद प्रभु जगन्नाथ जी गुस्सा हो गए और सिंहद्वार में खुद धक्का मारा और दरवाजा खुल गया।
यहां से महाप्रभु की पहंडी जय विजय द्वार पहुंची, जहां पर खुद माता लक्ष्मी जी ने अपने सेवकों को बुलाकर दरवाजे को बंद कर दिया। इसके बाद प्रभु जगन्नथ और माता लक्ष्मी जी के बीच तर्क वितर्क हुआ। प्रभु जगन्नाथ माता लक्ष्मी जी को मनाने के लिए रसगुल्ला, मोती के हार एवं साड़ी देकर मनाया और फिर रत्न सिंहासन पर विराजमान हो गए। इस अवसर पर जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक डा. किशन कुमार, पुरी जिलाधीश समर्थ वर्मा, एसपी के.विशाल प्रमुख उपस्थित थे।