Breaking: बीस सूत्री कमेटियों के गठन पर जल्द होगा फैसला, रेस हुआ सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा

झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों के बीच बीस सूत्री कमेटियों के पदों का बंटवारा जल्द होने की उम्मीद है। कांग्रेस और राजद ने इसके लिए जोर-शोर से मांग उठाई थी। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी इस मुद्दे को हल करने के प्रति तेजी दिखाई है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 12:28 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 01:21 PM (IST)
Breaking: बीस सूत्री कमेटियों के गठन पर जल्द होगा फैसला, रेस हुआ सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा
Breaking: बीस सूत्री कमेटियों के गठन पर जल्द होगा फैसला। जागऱण

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों के बीच बीस सूत्री कमेटियों के पदों का बंटवारा जल्द होने की उम्मीद है। कांग्रेस और राजद ने इसके लिए जोर-शोर से मांग उठाई थी। अब गठबंधन का नेतृत्व कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी इस मुद्दे को हल करने के प्रति तेजी दिखाई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा की अहम बैठक पदों की शेयरिंग को लेकर मंत्री चंपाई सोरेन के आवास पर चल रही है। चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। सोरेन के आवास पर चल रही बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद पांडेय, विधायक सुदिव्य कुमार समेत अन्य वरीय नेता मौजूद हैं। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही मोर्चा के रणनीतिकार पदों के बंटवारे को लेकर अंतिम निर्णय पर पहुंचेंगे।

गौरतलब है कि हेमंत सरकार का एक साल पूरा होने के अवसर पर यह तय हुआ था कि बीस सूत्री कमेटियों के पदों का बंटवारा सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों के बीच होगा। जनवरी में इस प्रक्रिया को पूरा किया जाना था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर का असर इसपर पड़ा। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस विधायकों ने बीस सूत्री कमेटियों के साथ-साथ बोर्ड, निगम के लिए भी मांग शुरू कर दी। इसके बाद यह तय हुआ कि पहले बीस सूत्री कमेटियों में निचली कतार के नेताओं-कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। यह कमेटियां जिला स्तर पर प्रखंड स्तर की होगी। बीस सूत्री कमेटियां विकास कार्यक्रमों की निगरानी औऱ देखरेख के लिए गठित की जाती है।

अभी तक के फार्मूले के मुताबित तय किया गया है कि 13 जिलों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में जिलों की कमेटियां आएंगी। इसपर अंतिम फैसला होना बाकी है। यह भी सुझाव दिया गया है कि जिन जिलों में जिस दल से ताल्लुक रखने वाले मंत्री प्रभारी हैं, वहां साथी दल को उपाध्यक्ष का पद दिया जाए। इसी प्रकार जिस विधानसभा क्षेत्र के प्रखंडों में गठबंधन के दलों ने जीत हासिल की है, उस दल के नेता-कार्यकर्ता को प्रखंड अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए। पेंच उन स्थानों पर फंसा है, जहां गठबंधन दल दूसरे स्थान पर रहे हैं।

फार्मूला निकाला जा रहा है कि उक्त दल को वहां पद दिया जाए। राष्ट्रीय जनता दल ने सात सीटों और 29 प्रखंडों पर दावा ठोक रखा है। राजद ने इसके लिए दबाव बनाया है, हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि हिस्सेदारी के हिसाब से सभी दलों की भागीदारी तय की जाएगी। इसमें किसी प्रकार की परेशानी आड़े नहीं आएगी। फार्मूला तय होने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के वरीय नेता इसकी घोषणा करेंगे।

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