झारखंड के देवघर की तरह ही बिहार के बाबा गरीबनाथ की है महिमा, सोनपुर से मुजफ्फरपुर तक होती है कांवर यात्रा

भगवान भोलेनाथ के प्रिय मास सावन में लगातार दूसरे साल भक्‍तों को निराश होना पड़ेगा। कोरोना संक्रमण के कहर को लेकर इस बार भी कांवर यात्रा पर सरकार के स्तर पर रोक लगा दी गई है। इसका असर पहलेजाधाम से बाबा गरीबनाथ तक की कांवर यात्रा पर भी पड़ा है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:55 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 11:55 AM (IST)
झारखंड के देवघर की तरह ही बिहार के बाबा गरीबनाथ की है महिमा, सोनपुर से मुजफ्फरपुर तक होती है कांवर यात्रा
मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ मंदिर की फाइल फोटो। स्‍टेारी की अंदर लगी भी सभी तस्‍वीरें आर्काइव से हैं।

हाजीपुर, रवि शंकर शुक्ला। भगवान भोलेनाथ के प्रिय मास सावन में लगातार दूसरे साल भक्‍तों को निराश होना पड़ेगा। कोरोना संक्रमण के कहर को लेकर इस बार भी कांवर यात्रा पर सरकार के स्तर पर रोक लगा दी गई है। इसका असर सोनपुर के पहलेजाधाम से मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ तक की कांवर यात्रा पर भी पड़ा है। सुल्तानगंज स्थित दक्षिणायनी गंगा से देवघर के बाबाधाम की कांवर यात्रा की तरह ही सोनपुर के पहलेजाधाम दक्षिणायनी गंगा से मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबस्थान के बीच कांवर यात्रा निकलती है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां कांवर यात्रा करते हैं। बीते वर्ष कोरोना के कारण कांवर यात्रा के अब तक के इतिहास में पहली बार रोक लगी थी। इस बार भी सोनपुर के ऐतिहासिक बाबा हरिहरनाथ मंदिर एवं मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ समेत तमाम शिवालयों में सावन मास में दर्शन-पूजन पर रोक लगा दी गई है।

झारखंड के देवघर से कम महात्म्य नहीं है बाबा गरीबनाथ का

झारखंड के देवघर से कम महात्म्य नहीं है बाबा गरीबनाथ का। सावन के महीने में लाखों की संख्या में कांवरिये जलाभिषेक करने पैदल सोनपुर के पहलेजाधाम से मुजफ्फरपुर के गरीबनाथ जाते रहे हैं। सोमवार को बाबा गरीबनाथ का जलाभिषेक करने सबसे ज्यादा कांवरिया जाते रहे हैं। इसे लेकर पैदल जाने वाले साधारण कांवरिया शुक्रवार को ही पहलेजाधाम से प्रस्थान करते। वहीं, डाक कांवरिया रविवार को प्रस्थान करते थे। इन दो दिनों में ही दो से ढ़ाई लाख कांवरिया प्रस्थान करते थे। इन दो दिनों में ही प्रशासन के पसीने छूट जाते थे। प्रत्येक शुक्रवार से लेकर रविवार तक हाजीपुर-मुजफ्फरपुर एनएच पर वाहनों का परिचालन रोक दी जाती थी। वहीं पहलेजाधाम से लेकर मुजफ्फरपुर तक सैकड़ों की संख्या में शिविर लगाकर कांवरियों की सेवा की जाती थी।

पूरा कांवर मार्ग रंगा नजर आता था गेरुआ रंग में

पूरे सावन के महीने में बाबा गरीबनाथ के जलाभिषेक के लिए कांवरियों का जत्था पहलेजाधाम घाट से मुजफ्फरपुर के लिए लगातार रवाना होता था। कांवरियों की भीड़ ऐसी कि पहलेजाधाम में पैर रखने तक की जगह नहीं रहती थी। कांवरियों के सैलाब की वजह से पूरा कांवर मार्ग एक माह तक गेरुआ रंग में रंगा नजर आता था। सड़क पर जहां तक नजर जाती, बस गेरुआ रंग में रंगे कांवरिया ही नजर आते। पूरा कांवर मार्ग हर-हर महादेव..., बोल-बल..., बाबा नगरिया दूर है जाना जरूर है... के बोल से गूंज रहा होता था।

लाखों कांवरिया बाबा हरिहरनाथ में टेकते थे मत्था

पहलेजाघाट धाम से बाबा गरीबनाथ तक राज्‍य की सबसे लंबी 65 किलोमीटर लंबी कांवर यात्रा का पहला पड़ाव बाबा हरिहरनाथ मंदिर पड़ता है। पहलेजाधाम से कांवर में जलभरी के बाद कांवरियों का जत्था सबसे पहले बाबा हरिहरनाथ मंदिर पहुंचता। यहां बाबा हरिहरनाथ की पूजा-अर्चना व जलाभिषेक के बाद ही कांवरियों का जत्था आगे की यात्रा पर रवाना होता। यहां से कांवरियों का जत्था हाजीपुर, सराय, भगवानपुर, गोरौल होते हुए मुजफ्फरपुर के कुढ़नी, तुर्की, रामदयालुनगर होते हुए बाबा गरीबनाथ मंदिर पहुंच बाबा गरीबनाथ का जलाभिषेक करता था।

जात-पात का बंधन भूल बाबा की भक्ति में रंगे कांवरिये

बाबा गरीबनाथ के जलाभिषेक को लाखों कांवरिया प्रत्येक दिन पहलेजाधाम से दक्षिणवाहिनी गंगा नदी का पवित्र जल लेकर जाते। कांवरिया बाबा के जयकारे के साथ बाबा नगरिया की दूरी तय करते। पूरे सावन मास में कांवरिया मार्ग पर आपसी सद्भाव व भाईचारे का अद्भुत नजारा देखने को मिलता था। बाबा की भक्ति के बीच अमीर-गरीब और जात-पात का भेद बिलकुल मिट जाता था।

बाबा हरिहरनाथ समिति की बैठक में मंदिर को बंद रखने का निर्णय

श्रावण मास में श्रद्धालुओं की आस्था तथा इस दौरान विधि-व्यवस्था संधारण को लेकर बाबा हरिहरनाथ मंदिर प्रबंधन के साथ सोनपुर अनुमंडल कार्यालय में पदाधिकारियों की बैठक आयोजित की गई। एसडीएम सुनील कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि सावन माह में पूर्व की तरह पूरे तामझाम के साथ बाबा हरिहरनाथ मंदिर की सजावट होगी, जबकि मंदिर का द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। पहलेजाघाट धाम से होकर गुजरने वाली पावन गंगा तट तथा नारायणी नदी के काली घाट पर स्नान करने वाले लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर घाट पर घेराबंदी की जाएगी।

घाटों पर मजिस्ट्रेट तथा पुलिस बल की रहेगी तैनाती

सावन मास में पहलेजाधाम एवं सोनपुर के घाटों पर मजिस्ट्रेट तथा पुलिस बल की तैनाती होगी। गोताखोरों एवं एसडीआरएफ की टीम भी रहेगी। सोनपुर के एसडीएम ने बताया कि कोरोना संक्रमण पर रोक के मद्देनजर सरकार के निर्देशों के आलोक में सभी धार्मिक स्थलों को बंद रखा गया है। बाबा हरिहरनाथ मंदिर भी बंद है। इसके बावजूद कुछ श्रद्धालुओं तथा शिव भक्तों का जत्था सावन माह में यहां की पावन नदियों में स्नान के लिए पहुंच ही जाता है। ऐसे में उनकी सुरक्षा प्रशासन की जवाबदेही बन जाती है। निश्चित रूप से बाबा हरिहरनाथ मंदिर बंद है, लेकिन इसी में अनेकों भक्त हैं जो मंदिर के बंद मुख्य द्वार पर ही जल अर्पण कर बाबा को बाहर से ही प्रणाम निवेदित कर वापस लौट जाते हैं।

सावन के महीने में बाबा हरि और हर का विशेष श्रृंगार

बाबा हरिहरनाथ मंदिर न्यास समिति के सचिव विजय लल्ला का कहना है कि यह परंपरा रही है कि सावन के महीने में बाबा हरि और हर का विशेष श्रृंगार के साथ-साथ संपूर्ण मंदिर को भी आकर्षक तौर-तरीके से सजाया जाता है। यह ठीक है कि कोरोना के कारण मंदिर में न भीड़ उमड़ेगी और ना ही किसी भक्त का प्रवेश होगा, किंतु मंदिर के साज-सज्जा में कोई अंतर नहीं होगा। 

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