मुजफ्फरपुर : अब 90 दिन में तैयार होगी मक्के की फसल, जानें कृषि वैज्ञानिक की उपलब्धियों के बारे में

राजेंद्र पॉपकार्न-वन नामक इस प्रजाति को पूसा कृषि विवि ने दी मान्यता। अखिल भारतीय समन्वित मक्का अनुसंधान परियोजना के तहत नये प्रभेद पर ट्रायल। 25 किसानों को अलग-अलग भूमि पर पैदावार की परख के लिए छह क्विंटल बीज दिया गया है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 09:12 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 09:12 AM (IST)
मुजफ्फरपुर : अब 90 दिन में तैयार होगी मक्के की फसल, जानें कृषि वैज्ञानिक की उपलब्धियों के बारे में
समस्तीपुर के भागवतपुर में किसानों के साथ विज्ञानी डा. अजय कुमार (सबसे बाएं)। फोटो- जागरण

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। अब 140 की जगह 90 दिनों में ही मक्के की फसल तैयार होगी। इसके दाने सामान्य किस्म से बड़े होने के साथ पैदावार भी ज्यादा होगी। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा से संबद्ध तिरहुत कृषि महाविद्यालय, ढोली इस नये प्रभेद 'राजेंद्र पॉपकार्न-वन' पर अंतिम ट्रायल कर रहा है। 25 किसानों को अलग-अलग भूमि पर पैदावार की परख के लिए छह क्विंटल बीज दिया गया है। शोध से जुड़े कृषि विज्ञानी डा. अजय कुमार ने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित मक्का अनुसंधान परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और श्रीनगर के 29 केंद्रों पर इस प्रभेद का सफल प्रत्यक्षण हुआ है। इसके बाद पूसा कृषि विवि के परिसर में भी सफलतापूर्वक ट्रायल किया गया है। इसमें कुलपति डा. आरसी श्रीवास्तव, डायरेक्टर रिसर्च डा. मिथिलेश कुमार और विज्ञानी एके सिंह का सहयोग रहा।

प्रति एकड़ उत्पादन 40 से 45 क्विंटल 

विज्ञानी का कहना है कि वर्ष 2018 से चल रहे क्रमिक शोध व प्रदर्शन के आधार पर कृषि विवि ने नवंबर, 2020 में 'राजेंद्र पॉपकार्न-वनÓ प्रजाति को मान्यता दे दी है। फरवरी, 2021 में पूसा कृषि मेले में प्रदर्शन हुआ था। इसका बीज बाजार में जल्द उपलब्ध कराया जाएगा। राजेंद्र पॉपकार्न प्रजाति को रबी और खरीफ दोनों फसलों के रूप में बोया जा सकता है। प्रति एकड़ 40 से 45 क्विंटल उपज देगी। वहीं सामान्य किस्म 35 से 40 क्विंटल उपज देती है। पॉपकार्न का बाजार भाव भी सामान्य से ज्यादा है। सामान्य किस्म थोक बाजार में 15 से 16 रुपये प्रतिकिलो है तो यह 70 से 80 तक जा सकता है।

बेबीकॉर्न पर भी चला शोध

विज्ञानियों ने मक्के की एक और प्रजाति पर शोध किया है, इसे 'राजेंद्र बेबीकॉर्नÓ नाम दिया गया है। इससे सब्जी, सलाद और सूप तैयार किया जा रहा है। किसान इसके भी ट्रायल में जुटे हैं। यह वेरायटी भी अगले साल बाजार में आएगी। विज्ञानी का कहना है कि बेबीकार्न का बाजार भाव 420 से 450 रुपये प्रतिकिलो है। यह 45 से 50 दिनों में तैयार होती है।

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