मुजफ्फरपुर में नियोजन में खेल, हटाए गए चार कर्मी सदर अस्पताल में करते रहे काम

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक चार कर्मियों से काम लेते रहे। अवैध रूप से बहाल होने पर हटाए गए 780 मानव बलों में चार की बनती रही हाजिरी। घटना को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए जिलाधिकारी और प्रधान सचिव को रिपोर्ट देने की तैयारी कर रहे सीएस।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 09:31 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 09:31 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में नियोजन में खेल, हटाए गए चार कर्मी सदर अस्पताल में करते रहे काम
कानूनी रूप से फंसते हुए देख उपाधीक्षक ने आनन-फानन में हाजिरी को रद करते हुए फाइल वापस ली।

मुजफ्फरपुर, जासं। कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य विभाग में 780 मानव बलों की बहाली हुई थी। सरकार ने बहाली को अवैध मानते हुए रद कर दिया। उसके बाद भी सदर अस्पताल के उपाधीक्षक चार कर्मियों से काम लेते रहे। उनकी हाजिरी बनती रही। उपाधीक्षक ने मानदेय के लिए उपस्थिति विवरणी भेजी। सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने जब अपने स्तर से छानबीन की तो उनका माथा ठनका। उन्होंने उपाधीक्षक एनके चौधरी को तलब किया। पूरे मामले पर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया। अपने को कानूनी रूप से फंसते हुए देख उपाधीक्षक ने आनन-फानन में हाजिरी को रद करते हुए फाइल वापस ली। सीएस ने घटना को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए जिलाधिकारी और प्रधान सचिव को रिपोर्ट देने की बात कही है।

साजिश में शामिल कर्मियों को किया जाएगा चिह्नित

सिविल सर्जन ने उपाधीक्षक को उस लिपिक को चिह्नित कर नाम, पदनाम के साथ रिपोर्ट मांगी है, जिसने इन चार मानव बलों की हाजिरी विवरणी को उपाधीक्षक के पास स्वीकृति के लिए दी थी। जानकारी के मुताबिक मानव बल से हटाए गए अनिकेत कुमार, विशाल कुमार, हिमांशु कुमार और आर्यन का मई में 17 दिन और जून महीने में 30 दिन का अपसेंटी बनाकर उपाधीक्षक से स्वीकृत भी करा लिया। उपाधीक्षक ने स्वीकृत कर इन चारों लोगों के अपसेंटी के एवज में आवंटन के लिए सिविल सर्जन के पास रिपोर्ट भेज दी थी। अब इस खेल के मास्टर माइंड की तलाश चल रही है।

इस चला घटनाक्रम, सीएस को पटना से हटाया गया

कोरोना काल में बीमारी को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से जिला स्तर पर मानव बल की बहाली का आदेश हुआ था। उस समय सिर्फ दीवाल पर एक पर्चा चस्पाकर 780 मानव बलों का नियोजन कर लिया गया। बहाली के बाद जिला परिषद की बैठक में अवैध नियोजन का मामला उठाया गया। इसके बाद डीएम प्रणव कुमार ने डीडीसी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी। इस बीच नियोजन के लिए एक आडियो वायरल हो गया। जिसमें सदर अस्पताल में कार्यरत एक डाटा एंट्री आपरेटर धर्मेंद्र द्वारा एक महिला आवेदक से तीस हजार नियोजन के लिए मांगा गया था। आडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया। जांच कमेटी ने जांच के दौरान नियमों को ताक पर रखकर भारी अनियमितता की बात कही थी। जांच कमेटी की अनुशंसा पर डीएम ने सिविल सर्जन को नियोजन रद करने का निर्देश दिया। तत्कालीन सिविल सर्जन ने नियोजन रद भी कर दिया। अगले ही दिन सदर अस्पताल गेट जामकर मानव बलों ने प्रदर्शन करना शुरू किया। इस बीच सिविल सर्जन ने अपने आदेश को वापस लेकर फिर से बहाल कर दिया। हंगामा, बवाल होने पर डीएम ने सिविल सर्जन के विरुद्ध मुख्यालय को अनुशंसा कर दी। स्वास्थ्य मुख्यालय ने नियोजन की तिथि से ही मानव बलों के नियोजन को रद कर दिया। उसके बाद तत्कालीन सिविल सर्जन डा.एसके चौधरी का तबादला पटना हो गया।  

chat bot
आपका साथी