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सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत यात्रा आरंभ करेंगे कैलाश सत्यार्थी

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने रांची में सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत पर व्याख्यान दिया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 02:25 PM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 05:08 PM (IST)
सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत यात्रा आरंभ करेंगे कैलाश सत्यार्थी
सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत यात्रा आरंभ करेंगे कैलाश सत्यार्थी

रांची, जेएनएन। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत के लिए कन्याकुमारी से दिल्ली तक की यात्रा करेंगे। यह यात्रा कन्याकुमारी से आरंभ होगी। उन्होंने कहा कि कश्मीर के पत्थरबाज बच्चों को बख्श दें। साथ ही, माओवादियों से आग्रह किया कि वह बच्चों के हाथ में हथियार न दें।

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कैलाश सत्यार्थी ने सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत पर व्याख्यान दिया। इस मौके पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्पीकर सहित कई अन्य लोग भी मौजूद थे।

इस बीच, झारखंड के सीएम रघुवर दास ने ट्वीट कर कहा है कि  'बचपन', जीवन का एक ऐसा पड़ाव है, जिसके जैसा सुखद एवं कौतुहल भरा समय शायद ही जीवनकाल में दोबारा आता है। बचपन को संरक्षित करना एक महान कार्य है। 

आज बचपन बचाओ आंदोलन के तहत 'सुरक्षित बचपन,सुरक्षित भारत'कार्यक्रम में नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के विचारों को सुना।

बचपन बचाओ आंदोलन संचालनकर्ता और नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का झारखंड, जो कि उनकी कर्मभूमि रही है, की ओर से अभिनन्दन।

'प्लेसमेंट कानून' के विषय पर हम जल्द से जल्द निर्णय लेंगे। विधान सभा के माध्यम से यह कानून बनकर, झारखंड में जल्द लागू होगा।

राज्य में ही रोजगार देकर हम पलायन को रोकने के लिए ढृढ़ संकल्पित है। रोजगार होगा तो रोटी यहीं मिलेगी, रोटी होगी तो पलायन खत्म होगा।

गुमला की बेटी की घटना बयां कर भावुक हुए सत्यार्थी

झारखंड में कैलाश सत्यार्थी ट्रैफिकिंग से जुड़ी गुमला की घटना बयां कर भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि परिजनों को झांसा में रखकर एजेंट ने एक किशोरी को दो-तीन लोगों के हाथों बेच दिया। किशोरी के पिता ने लगभग डेढ़ वर्षो तक उसकी तलाश की और अंत में बचपन बचाओ आंदोलन के दिल्ली कार्यालय पहुंचे। बहुत मशक्कत से किशोरी को ढूंढा गया, परंतु तब तक वह बिन ब्याही मां बन चुकी थी। पिता के लिए तड़पने वाली वह किशोरी उनसे आंखे मिलाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रही है। सवाल यह कि ऐसे हालात देख लोगों को गुस्सा क्यों नहीं आता। उन्होंने कहा कि समाज जबतक हर बेटी को अपनी बेटी नहीं समझेगा, इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहेगी।

बच्चों की बदहाली दूर करने के काम में जुटी है संस्था

बच्चों को अधिकार दिलाने के लिए दुनिया के 140 देशों में काम कर रही उनकी संस्था ने ऐसे बच्चों की बदहाली दूर करने के लिए ‘10 करोड़ के लिए 10 करोड़’ नामक अभियान की शुरूआत की है। अभियान का मकसद है कि दुनिया में 10 करोड़ बाल श्रमिकों के लिए 10 करोड़ युवा सामने आएं। ये युवा बाल श्रमिकों के लिए आवाज उठाएंगे और उन्हें न्याय दिलाएंगे। दुनिया में 25 से कम आयु वर्ग के तीन अरब युवा हैं। भारत और बांग्लादेश में इस अभियान की लांचिंग हो चुकी है। शीघ्र ही ब्राजील, अमेरिका, इंग्लैंड आदि 10 देशों में यह अभियान लांच होगा।

रांची में कैलाश सत्यार्थी, देखें तस्वीरें
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