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धरती को चढ़ा बुखार, मौसम बदल रहा मिजाज

रांची : झारखंड सहित देश के 13 राज्यों के 300-325 जिले सूखे से जूझ रहे हैं। यह संकट धरती को चढ़ते बुख

By Edited By: Published: Sun, 29 May 2016 01:24 AM (IST)Updated: Sun, 29 May 2016 01:24 AM (IST)
धरती को चढ़ा बुखार, मौसम बदल रहा मिजाज

रांची : झारखंड सहित देश के 13 राज्यों के 300-325 जिले सूखे से जूझ रहे हैं। यह संकट धरती को चढ़ते बुखार से पैदा हुआ है, जिसका स्वरूप व्यापक होता जा रहा है। यदि हम जल संकट को लेकर अब भी नहीं चेते तो हालात बदतर हो जाएंगे। शनिवार को रांची में जुटे देश के प्रख्यात पर्यावरणविदों ने जल संकट के मौजूदा हालात का जिक्र करते हुए इसके प्रति संजीदा होने की नसीहत दी।

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जल पुरुष राजेंद्र सिंह, वाटर लिटरेसी फाउंडेशन के अय्यप्पा एम, पद्मश्री अशोक भगत और सिमोन उरांव ने झारखंड सहित देश-दुनिया में जल संकट पर न केवल चेताया, बल्कि बचाव उपाय भी सुझाया। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने वर्तमान हालात पर चिंता जताते हुए राज्य में सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का जिक्र किया। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग तथा एक अंग्रेजी दैनिक के तत्वावधान में आयोजित इस चर्चा-परिचर्चा का निष्कर्ष यही रहा कि सरकार और समाज की संयुक्त पहल से जल संकट पर काबू पाया जा सकता है। समाज न केवल जल संचयन संबंधी योजनाएं बनाए, बल्कि उन्हें अमलीजामा भी पहनाए। ठेकेदारों को इससे दूर रखा जाए। जल स्रोतों का अतिक्रमण करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो। जल स्रोतों का अतिक्रमण और उन्हें प्रदूषित करने से बड़ा कोई अपराध नहीं है। धरती को चढ़ रहा बुखार अधिक से अधिक पेड़ लगाकर ही उतारा जा सकता है।

इन सुझावों से बनेगी बात

- झारखंड में नदी पुनर्जीवन नीति बनाकर नदियों का प्रवाह दुरुस्त किया जाय।

- तालाब और बांध की जमीन की पहचान कर नोटिफाइ किया जाय ताकि अतिक्रमण होने की स्थिति में दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जा सके।

- पहाड़ों पर सीरीज चेकडैम बनाकर निचले हिस्से में डैम का ढांचा तैयार किया जाए। राजस्थान में यह प्रयोग सफल रहा है।

- संभव हो तो राज्य सरकार जल सुरक्षा अधिनियम बनाए।

- सिर्फ रेन वाटर रिचार्ज से नहीं बनेगी बात, घरों से निकलने वाले ग्रे वॉटर रिचार्ज को भी अपनाना होगा। दक्षिण भारत में ऐसे प्रयोग किए गए हैं।

- झारखंड में पानी से जुड़े विभागों को आपस में जोड़ा जाए।

- बोरा बांध जैसी झारखंड की परंपरागत तकनीक भी हो सकती है मददगार। नदी के किनारों को बांधा जाए।

किसने क्या कहा

- आज विकास की बुद्धि का दुष्काल चल रहा है। हम जो रास्ते पकड़ रहे हैं उनसे हालात बिगड़ रहे हैं। इसके लिए बाजार भी जवाबदेह है। राज्य सरकार और समाज दोनों को मिलकर जल संकट से निपटना होगा। पानी से जुड़ी योजनाओं की जवाबदेही समाज को सौंपी जाए और सरकारें पानी का शोषण करने वालों को दंडित करें।

जल पुरुष राजेंद्र सिंह

धरती सबसे बड़ा वॉटर टैंक है। इसे लगातार रिचार्ज करते रहना होगा। सिर्फ रेन वॉटर हार्वेस्टिंग से बात नहीं बनेगी। घरों से निकलने वाले बेकार पानी को भी रिचार्ज करने का विकल्प अपनाना होगा।

पर्यावरणविद अय्यपा मसादी

जल संरक्षण के लिए झारखंड को किसी आउट साइड कंसलटेंट की जरूरत नहीं है। यहां के लोगों में खुद क्षमता है। राजनीतिक इरादों को सामाजिक ताकत से जोड़ने की जरुरत है।

पद्मश्री अशोक भगत

बरखा रूठ रही है। जहां तालाब-नाला था, वहां अब सड़क बन गई है। सात-सात तल्ला मकान बन गए हैं। पानी को सहेजना होगा। पानी नहीं रहेगा तो मनुष्य नहीं रहेगा। हर 3000 फीट की दूर पर पानी का स्थान बनाना होगा।

पद्मश्री सिमोन उरांव


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