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आतंक का नेटवर्क

आतंकवादियों की कोशिश है कि अमरनाथ यात्र से पहले घाटी में माहौल को बिगाड़ा जाए। गत वर्ष भी आतंकवादियों ने ऊधमपुर के नरसू इलाके में बीएसएफ की बस पर गोलियां बरसाई थी जिसमें दो जवान शहीद हुए थे

By Atul GuptaEdited By: Published: Sat, 28 May 2016 04:11 AM (IST)Updated: Sat, 28 May 2016 04:13 AM (IST)
आतंक का नेटवर्क

बड़ी वारदात की साजिशों को अंजाम देने के लिए स्लीपिंग सेल बनाने के आतंकवादियों के मंसूबों पर सतर्कता बरतने की जरूरत है। हाल ही में श्रीनगर के व्यस्त रिहायशी इलाके सराएवाल में किराये के मकान में रह रहे पाकिस्तानी के लश्कर के आतंकी और उसके साथी को सेना द्वारा मार गिराने की घटना को गंभीरता से लिया जाना जरूरी है। यह आतंकी घाटी में अपने नेटवर्क को बढ़ाने के मकसद से स्लीपिंग सेल के रूप में रह रहे थे।

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गनीमत यह रही कि सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक लग गई। समय रहते उन्हें मार दिया गया। बात वर्ष 2006 की करें तो जम्मू के जानीपुर इलाके में स्लीपिंग सेल के रूप में रह रहे जैश-ए-मुहम्मद के एक आतंकी मुहम्मद कारी को दिल्ली पुलिस ने मार गिराया था। यह आतंकी छात्र के रूप में रह रहा था। लोगों को यही मालूम था कि वह एक छात्र है। कई बार आतंकवादी स्लीपिंग सेल के रूप में शहरों में किराये के मकानों में रहते हैं। वे लोगों में घुल-मिल जाते हैं ताकि इन पर कोई शक न करे। छात्रों की आड़ में ये अपने नेटवर्क को भी बढ़ाते हैं और बाद में बड़ी घटना को अंजाम दिलाने में भी कामयाब हो जाते हैं।

बेशक इसके लिए पुलिस ने किरायेदारों की वेरीफिकेशन प्रक्रिया रखी है, लेकिन मकान मालिक इसकी जानकारी नहीं देते कि उनके मकान में कौन रह रहा है और वह किस इलाके का है। वेरीफिकेशन प्रक्रिया सुरक्षा की दृष्टि से सबके लिए जरूरी है। अक्सर लोग किरायेदारों पर विश्वास कर लेते हैं लेकिन उनका यह सोचना कई बार गलत साबित हो सकता है। सुरक्षा में ही सबकी भलाई है, इसलिए पुलिस को भी वेरीफिकेशन प्रक्रिया में सख्ती दिखानी होगी। पकड़े आतंकवादी ने जो खुलासा किया है, उसे हल्के से नहीं लिया जाना चाहिए। हाल ही में सीमा पर घुसपैठ की घटनाओं में इजाफा हुआ है।

आतंकवादियों की कोशिश है कि अमरनाथ यात्र से पहले घाटी में माहौल को बिगाड़ा जाए। गत वर्ष भी आतंकवादियों ने ऊधमपुर के नरसू इलाके में बीएसएफ की बस पर गोलियां बरसाई थी जिसमें दो जवान शहीद हुए थे जबकि ग्यारह जवान घायल हो गए थे। आतंकवादियों के ऐसे किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को मुस्तैदी दिखानी होगी।

(स्थानीय संपादकीय, जम्मू-कश्मीर)


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