भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार कार्य करें वैज्ञानिक : सुजान सिंह
जागरण संवाददाता, पालमपुर : चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधा
जागरण संवाददाता, पालमपुर : चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के प्रभारी, वैज्ञानिकों सहित विभागीय अधिकारियों की एक दिवसीय राज्यस्तरीय संयुक्त समीक्षा की बैठक हुई। इसमें कृषि एवं ऊर्जा मंत्री सुजान ¨सह पठानिया ने मुख्यअतिथि के रूप में शिरकत की। मंत्री ने कहा कि हिमाचल में किसानों के पास कृषि योग्य छोटी-छोटी जोते हैं, जो अधिकतर वर्षा-आश्रित हैं, इसलिए कृषि वैज्ञानिकों की यहां विशेष जिम्मेवारी है कि वे यहां कि भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार कार्य करें। आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों से राष्ट्र को आर्थिक व खाद्य सुरक्षा की पूर्ति हो रही है, लेकिन अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर सूचना प्रोद्यौगिकी का लाभ उठाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम हासिल करना अभी बाकी है। उन्होंने डॉ. प्रमोद वर्मा की ओर से लिखित चाय-पौध कीट तथा उसका नियंत्रण विषय पर पुस्तिका और चाय प्रौद्योगिकी पर एक मासिक कैलेंडर सहित डॉ. पीके मिश्रा की पुस्तक का विमोचन भी किया।
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सब्जी उत्पादन जरूरत से तीस फीसद अधिक : डॉ. कटोच
इस अवसर पर विवि के कुलपति एवं समीक्षा बैठक के अघ्यक्ष डॉ. केके कटोच ने कहा कि कृषि, जल विद्युत परियोजनाओं तथा पर्यटन के कारण हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में तीव्र गति से विकास कर रहा है। वर्ष 2050 में प्रदेश को 14.4 लाख टन खाद्यान्नों की आवश्यकता होगी, जो प्रदेश इस समय ही पैदा कर रहा है। यही परि²श्य सब्जी उत्पादन का है। प्रदेश इस समय जरूरत से 30 प्रतिशत अधिक सब्जी उत्पादन कर रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से प्रदेश की कृषि बागवानी तथा पशुपालन गतिविधियां प्रभावित होगी और विश्वविद्यालय इन परिस्थितियों से निपटने के लिए किसानों की हर संभव वैज्ञानिक सहायता करेगा। प्रदेश की 80 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर आश्रित है। अत: वैज्ञानिकों को इसी आधार पर तकनीकें विकसित करनी होंगी।
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प्रदेश के 21 किसान करोड़पति
बैठक में विशिष्ट अतिथि डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय ¨सह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश को फल राज्य के रूप में जाना जाता है, सब्जियों से भी प्रदेश में किसान काफी लाभ कमा रहे हैं, लेकिन अभी भी उत्पादन कम है। प्रदेश में इस समय 21 किसान ऐसे किसान हैं जिनकी सालाना आय एक करोड़ से ज्यादा है तथा 106 किसान ऐसे हैं जिनकी सालाना आय 50 लाख से ज्यादा है। ये उपलब्धियां अपने में विशेष हैं।
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इन्होंने भी की चर्चा
विवि के शोध निदेशक डॉ. एनके पठानिया, ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक डॉ. अजय शर्मा, प्रदेश कृषि विभाग के निदेशक डॉ. जेसी राणा, बागवानी विभाग के निदेशक डॉ. गुरदेव ¨सह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के प्रभारी वैज्ञानिकों, लगभग दो दर्जन वरिष्ठ वैज्ञानिकों, संबंधित विभागों के विभाग अध्यक्षों व अन्यों ने गहनता से चर्चा की।