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भर्ती में शास्त्री एवं आचार्य को मान्यता नहीं देने के लिए छात्रों ने किया प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, सिरसा : लघु सचिवालय के सामने संस्कृत अध्यापक व प्राध्यापकों की भर्ती में शास्त्री ए

By Edited By: Published: Thu, 19 Jan 2017 10:31 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jan 2017 10:31 PM (IST)
भर्ती में शास्त्री एवं आचार्य को मान्यता नहीं देने के लिए छात्रों ने किया प्रदर्शन
भर्ती में शास्त्री एवं आचार्य को मान्यता नहीं देने के लिए छात्रों ने किया प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, सिरसा : लघु सचिवालय के सामने संस्कृत अध्यापक व प्राध्यापकों की भर्ती में शास्त्री एवं की उपाधि को शिक्षा नियमावली 2012 में संशोधन की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को पुलिस बल ने मैन गेट के बाहर ही रोक लिया। जिस पर प्रदर्शनकारी धरना देकर बाहर बैठ गये। इसके बाद श्री सनातन धर्म सभा के कार्यकारी प्रधान नवीन केडिया के नेतृत्व में उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़ को ज्ञापन सौंपा। इससे पहले सुबह करीब 12 बजे प्रदर्शन करते हुए श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के छात्र व प्रध्यापक नारेबाजी करते हुए सचिवालय पहुंचे।

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श्री सनातन धर्म सभा के कार्यकारी प्रधान नवीन केडिया ने कहा कि यूजीसी व मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित पाठयक्रम को सुचारू रूप से पढ़कर संस्कृत अध्यापक व प्राध्यापक पद के लिए संस्कृत विषय में पारंगत शास्त्री एवं आचार्य उपाधि धारकों को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा हाल ही में संस्कृत अध्यापकों के पदों पर भर्ती हेतु जारी विज्ञप्ति में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य हनुमान प्रसाद शर्मा ने कहा कि जिस देश की संस्कृति ही संस्कृत में हो तथा जिस प्रदेश की पावन धरा पर गीता का ज्ञान दिया गया हो, जिस प्रदेश की सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की अग्रिम पंक्ति में खड़ा होने का दावा करती हो तथा कन्या गुरुकुलों, सनातन धर्म सभाओं, आर्य समाज तथा अन्य संस्कृति प्रेमी संस्थाओं द्वारा संचालित संस्कृत महाविद्यालयों में शास्त्री व आचार्य कर रही कन्याओं को सरकार पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दे रही हो। दूसरी तरफ शास्त्री उपाधि धारकों को हरियाणा सरकार इस तरह नौकरियों से वंचित कर रही हो तो इसे किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। यह शास्त्री और आचार्य उपाधिधारकों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि कुशल एवं संस्कृत विषय में निष्णात शिक्षकों को छोड़कर मात्र एक बीस अध्यायों की पुस्तक पढ़कर बीए करने वालों को इस भर्ती के योग्य मानना सरासर प्रदेश की जनता के साथ धोखा है क्योंकि ये लोग शास्त्री के मुकाबले संस्कृत पढ़ाने में कुशल हो ही नहीं सकते। प्रारंभ से ही संस्कृत अध्यापक एवं प्राध्यापकों के पद पर शास्त्री एवं आचार्य उपाधिधारकों की भर्ती होती रही है। इस अवसर पर श्री सनातन धर्म महाविद्यालय के प्राचार्य हनुमान प्रसाद शर्मा, सुरेंद्र शास्त्री चोरमार, प्राध्यापक मोहन लाल पूनिया, सत्यनारायण शास्त्री, होशियार ¨सह शास्त्री, रामअवतार हिसारिया मौजूद थे।


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